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Jagannath Yatra 2023 : आज से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू, पुरी में जुटेंगे लाखों भक्त

श्रीकृष्ण (Sri Krishna) के अवतार भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा (Rath Yatra of Lord Jagannath) आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानी मंगलवार से देशभर में शुरू हो रही है। जिसमें ओडिशा (Odisha) के पुरी (Puri) की भगवान जगन्नाथ यात्रा (Jagannath Yatra) पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।

By Abhimanyu 
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Jagannath Yatra : श्रीकृष्ण (Sri Krishna) के अवतार भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा (Rath Yatra of Lord Jagannath) आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानी मंगलवार से देशभर में शुरू हो रही है। जिसमें ओडिशा (Odisha) के पुरी (Puri) की भगवान जगन्नाथ यात्रा (Jagannath Yatra) पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बालभद्र (Balabhadra)और बहन सुभद्रा जी (Subhadra) के साथ अपने मंदिर से निकलने के बाद पुरी नगरी का भ्रमण करते हुए जनकपुर के गुण्डिचा मंदिर (Gundicha temple) पहुंचते है।

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गुण्डिचा मंदिर (Gundicha temple) को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर (Lord Jagannath’s Mausi’s House) माना जाता है। इस रथयात्रा (Rath Yatra) में तकरीबन 25 लाख लोगों के आने की संभावना है। मान्यताओं के अनुसार यहां भगवान विश्राम करते हैं। रथयात्रा में सबसे आगे बड़े भाई, बीच में बहन और अंत में भगवान जगन्नाथ का रथ होता है। यह यात्रा पूरे भारत में एक पर्व की तरह मनाया जाता है। पुरी के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी रथयात्रा अहमदाबाद (Rath Yatra Ahmedabad) के जमालपुर स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में होती है। गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने सुबह जमालपुर जगन्नाथ मंदिर में परिवार समेत मंगला आरती की।

अहमदाबाद (Ahmedabad) में रथयात्रा सुबह 7 बजे शुरू हो गई। गुजरात सीएम भूपेंद्र पटेल पहिंदा (Gujarat CM Bhupendra Patel Pahinda) ने विधि कर रथ यात्रा की शुरुआत की। इससे पहले सुबह 4.30 बजे भगवान को खिचड़ा हुआ। 6.30 बजे भगवान की तीनों मूर्तियों को रथ में विराजमान किया गया। मान्यता है कि जो लोग भी सच्चे भाव से भगवान जगन्नाथ (Jagannath Yatra) की यात्रा में शमिल होते हैं, उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। वहीं, यात्रा के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। जगन्‍नाथजी की रथयात्रा में शामिल होने का पुण्य सौ यज्ञों के बराबर माना जाता है।

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