HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. एस्ट्रोलोजी
  3. उमा-महेश्वर व्रत 2021: इस व्रत से खोई प्रतिष्ठा-सम्मान पुन: पाया जा सकता है,जानिए महत्व और पूजा विधि

उमा-महेश्वर व्रत 2021: इस व्रत से खोई प्रतिष्ठा-सम्मान पुन: पाया जा सकता है,जानिए महत्व और पूजा विधि

भाद्रपद पूर्णिमा पर उमा-महेश्वर व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। भविष्य पुराण में मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को यह व्रत करने की बात कही गई है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

नई दिल्ली: भाद्रपद पूर्णिमा पर उमा-महेश्वर व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। भविष्य पुराण में मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को यह व्रत करने की बात कही गई है। लेकिन नारद पुराण में भाद्रपद की पूर्णिमा को यह व्रत करने की बात कही गई है। ऐसे में यह व्रत दोनों दिन करना चाहिए। महिलाएं इस व्रत को बुद्धि प्राप्त करने और बच्चों के लिए सौभाग्य की कामना के साथ रखती हैं। इस व्रत को रखने वालों को भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए। पूजा करते समय भगवान शिव और मां पार्वती के अर्ध भगवती के रूप का ध्यान करना चाहिए।

पढ़ें :- 25 नवम्बर 2024 का राशिफल: इन राशि के लोगों को आज कारोबार में किसी रुके धन की हो सकती है प्राप्ति

खोई प्रतिष्ठा और सम्मान भी पुन: पाया जा सकता है
हिंदू धर्म शास्त्रों में भाद्रपद माह की पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले उमा-महेश्वर व्रत के बारे में विस्तार से वर्णन मिलता है। यह व्रत उन लोगों को जरूर करना चाहिए जिनका परिवार बिछड़ गया है या किसी कारण कोई अपने परिवार से दूर रह रहा है या किसी विवाद के कारण परिवार टूट गए हैं या भाई-बंधुओं में बन नहीं रही है। इस व्रत के प्रभाव से खोई प्रतिष्ठा और सम्मान भी पुन: पाया जा सकता है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण व्रत भी किया जाता है और इसी दिन से पितृपक्ष भी प्रारंभ होते हैं और पहला श्राद्ध पूर्णिमा का किया जाता है।

इस व्रत में भगवान को धूप, दीप, गंध, फूल तथा शुद्ध घी का भोजन अर्पण किया जाता है। व्रती को एक समय निराहार रहते हुए दूसरे समय भोजन ग्रहण करना चाहिए। व्रत पूजन से पहले अपनी इच्छित कामना की पूर्ति की भगवान शिव-पार्वती से प्रार्थना करें।

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...