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मध्यप्रदेश बोर्ड परीक्षा मूल्यांकन, जरा सी भूल मूल्यांनकर्ताओं पर पड़ेगी भारी,जुर्माने का प्रावधान

मध्यप्रदेश में बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन में यदि थोड़ी सी भी भूल हुई तो इसका खामियाजा मूल्यांकनकर्ताओं को भुगतना पड़ेगा। माध्यमिक शिक्षा मंडल (Secondary Education Board) की 10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन प्रत्येक परीक्षक को गंभीरता से करने के निर्देश दिए गए हैं।

By संतोष सिंह 
Updated Date

भोपाल। मध्यप्रदेश में बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन में यदि थोड़ी सी भी भूल हुई तो इसका खामियाजा मूल्यांकनकर्ताओं को भुगतना पड़ेगा। माध्यमिक शिक्षा मंडल (Secondary Education Board) की 10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन प्रत्येक परीक्षक को गंभीरता से करने के निर्देश दिए गए हैं। मंडल ने तय किया है कि इस बार कापियों की जांच तीन चरण में की जाएगी। नंबर दर्ज करने में गलती होने पर मूल्यांकनकर्ताओं पर जुर्माने का भी प्रावधान किया है।

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अगर किसी मूल्यांकनकर्ता ने परीक्षार्थी का प्राप्तांक चढ़ाने में गलती की, तो प्रत्येक ऐसी गलती पर उसे 100 रुपये का जुर्माना देना होगा। 10वीं और 12वीं की वार्षिक परीक्षा का मूल्यांकन 13 मार्च से शुरू हो रहा है। माशिमं से तय नियमों के मुताबिक, मूल्यांकनकर्ताओं को अपना काम शुरू करने से पहले एक आदर्श उत्तर की कॉपी दी जाएगी।

इसके आधार पर उन्हें मिली कॉपियों की जांच करनी है। एक मूल्यांकनकर्ता कॉपी की जांच के बाद प्रत्येक प्रश्न के उत्तर पर अंक देगा। अंत में परीक्षार्थी को मिले सभी अंकों का जोड़ मुखपृष्ठ पर लिखा जाएगा। अंकों का जोड़ करते समय यदि किसी परीक्षार्थी को 90 या 99 अंक आ रहे हैं, तो उसकी कॉपी दोबारा जांची जाएगी। सामान्य परिस्थितियों में भी मूल्यांकन के बाद दूसरा मूल्यांकनकर्ता नंबरों का मिलान करेगा।

अगर प्रत्येक उत्तर को मिले अंक और मुखपृष्ठ पर लिखे प्राप्तांक का जोड़ ठीक नहीं होगा, तो मूल मूल्यांकनकर्ता पर जुर्माना लगेगा। तीसरी जांच रैंडम होगी यानी जांची जा चुकी कॉपियों के बंडल से कुछ कॉपियां निकालकर कभी भी जांची जाएंगी। अगर इसमें गलती मिली तो भी जुर्माना लगेगा। बताया जा रहा है कि ऐसा हर साल पुनर्मूल्यांकन के आवेदनों की वजह से कॉपियों की दोबारा जांच करानी पड़ती है। कई बार होता है जब परीक्षार्थी का दावा सही होता है और उसके अंक बढ़ जाते हैं। इसकी वजह से कई बार न्यायालय में मंडल की स्थिति लज्जाजनक हो जाती है।

भोपाल : मध्यप्रदेश से अक्षय की रिपोर्ट

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