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मोदी सरकार रेलवे के 15 स्टेडियम को निजी हाथों में सौंपने को तैयार, फैसले का विरोध शुरू

केंद्र की मोदी सरकार रेलवे के मैदानों का निजी सौंपने की तैयार कर रही है। रेलवे बोर्ड ने अब 15 शहरों में रेलवे के मैदानों को रेलवे लैंड डेवलपमेंट अथारिटी (आरएलडीए) को सौंप दिया है। इसके बाद अब इन 15 मैदानों में कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाने टेक्नो-इकनॉमिक स्टडी के लिए बोली मंगाई है। हालांकि रेलवे के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार रेलवे के मैदानों का निजी सौंपने की तैयार कर रही है। रेलवे बोर्ड ने अब 15 शहरों में रेलवे के मैदानों को रेलवे लैंड डेवलपमेंट अथारिटी (आरएलडीए) को सौंप दिया है। इसके बाद अब इन 15 मैदानों में कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाने टेक्नो-इकनॉमिक स्टडी के लिए बोली मंगाई है। हालांकि रेलवे के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है।

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बोर्ड ने आरएलडीए से निजी कंसल्टेंसी ने इन स्टेडियम में भविष्य की जा सकने वाली गतिविधियों का आंकलन कराने को कहा है, जिससे इनमें जरूरी सभी सुविधाएं विकसित की जा सकें। इसके अलावा कुछ जमीन पर व्यवसायिक गतिविधि भी शुरू की जा सके। केंद्र सरकार की अगर 15 शहरों में निजीकरण की योजना सफल होती है तो अगले चरण में अन्य शहरों के स्टेडियम को भी निजी हाथों में दिया जा सकता है।

बता दें कि अभी जिन 15 मैदानों को लेकर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। उसमें मुंबई के दो स्टेडियमों के अलावा वाराणसी, कोलकाता, भुवनश्वरर, कोलकाता, पटना, चेन्नई, रायबरेली, गुवाहटी, कपूरथला, बैंगलुरू, सिंकदराबाद, रांची, लखनऊ और गोरखपुर में रेलवे के मैदान शामिल हैं।

रेलवे के इस फैसले का ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन ने विरोध किया है। फेडरेशन के पदाधिकारियों के मुताबिक सरकार खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के बजाय उनके स्टेडियम व्यवसायिक उपयोग में देना चाहती है। रेलवे बोर्ड के इस कदम का विरोध किया जाएगा।

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बता दें कि रेलवे से निकलकर हॉकी, फुटबॉल ,क्रिकेट, कुश्ती, बैडमिंटन, टेबल टेनिस खेलों के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी देश का नाम रोशन कर चुके हैं। इनमें से कई खिलाड़ी इन रेलवे स्टेडियम में ही अभ्यास कर आगे बढ़े हैं। ऐसे में रेलवे बोर्ड का फैसला खिलाड़ियों व रेल कर्मियों के खिलाफ माना जा रहा है।

गोरखपुर में रेलवे की खाली जमीन पर मॉल

सूत्रों की मानें तो भारतीय रेल गोरखपुर के असुरन चौराहा और दुर्गाबाड़ी स्थित रेलवे जूनियर इंस्टीट्यूट परिसर में शापिंग मॉल और व्यावसायिक कॉम्पलेक्स बनवाने की तैयारी कर रही है। गोरखपुर की दोनों प्रमुख जगहों पर जमीन चिह्नित कर ली गई है। रेल प्रशासन ने रेलवे बोर्ड को जो प्रस्ताव भेजा है उसके मुताबिक दोनों जगहों को निजी फर्म को पट्टे पर दिया जाएगा।

लखनऊ में भी बनेगी टाउनशिप

रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए ) ने ऐशबाग स्थित लखनऊ इंडस्ट्रियल साइडिंग (एलआईएस) की जमीन निजी बिल्डर को 99 साल की लीज पर सौंप दी है। मवैया-तालकटोरा रोड पर मवैया पुल से नीचे उतरते दायीं ओर एलआईएस की करीब 3.54 हेक्टेयर जमीन है। इस जमीन पर सीमेंट व गिट्टी बेचने वालों का कब्जा था। अवैध कब्जे खाली न होने से परेशान होकर उत्तर रेलवे ने यह जमीन आरएलडीए को हस्तांतरित कर दी थी।

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बिहार के मुजफ्फरपुर में बनेगा मॉल

बिहार के मुजफ्फरपुर के इमलीचट्टी में रेलवे ने खाली पड़ी जमीन पर मॉल बनवाने का फैसला किया है। आरएलडीए की जमीन पर मॉल बनाने का काम कोलकाता की एक कंपनी को देने की तैयारी की गई है। कंपनी ने इसके लिए सर्वे भी करा लिया है। इसके अलावा रेलवे ने लोको कॉलोनी की खाली पड़ी जमीन के भी व्यावसायिक उपयोग का निर्णय लिया है।

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