NGT Ganga Pollution Report : गंगा (Ganga) की निर्मलता और अविरलता सुनिश्चित करने के लिए 2014 से अस्तित्व में आए नमामि गंगे कार्यक्रम (Namami Gange Program) की सुस्त रफ्तार की वजह से गंगा निर्मल नहीं बन पाई। वेद और पुराणों में जिस गंगा की खूबियों का बखान है, वह काशी में मैली हो चुकी है।
NGT Ganga Pollution Report : गंगा (Ganga) की निर्मलता और अविरलता सुनिश्चित करने के लिए 2014 से अस्तित्व में आए नमामि गंगे कार्यक्रम (Namami Gange Program) की सुस्त रफ्तार की वजह से गंगा निर्मल नहीं बन पाई। वेद और पुराणों में जिस गंगा की खूबियों का बखान है, वह काशी में मैली हो चुकी है। मोक्षदायिनी गंगा (Mokshadayini Ganga) के वजूद पर अब संकट के बादल मंडराने लगे हैं। आलम ये है कि गंगा का पानी अब नहाने लायक भी नहीं रह गया है। यह खुलासा एनजीटी की ओवरसाइज समिति (Oversight Committee of NGT) ने ये चौंकाने वाला खुलासा किया है। इस पर BHU के वैज्ञानिकों ने भी चिंता जताते हुए गंगा के पूरी तरह दूषित होने और इसके अस्तित्व के खत्म होने की आशंका जताई है। भविष्य में इससे उपजे जल संकट की ओर भी इशारा किया है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदेश कुमार गोयल ने कहा कि गंगा में पानी की गुणवत्ता मानदंडों के अनुरूप होनी चाहिए क्योंकि इसका उपयोग न केवल स्नान के लिए बल्कि ‘आचमन’ (प्रार्थना या अनुष्ठान से पहले पानी के घूंट लेना) के लिए भी किया जाता है।
NGT की ओवरसाइज समिति से 31 जगहों से लिए थे सैंपल
विभागीय जानकारी के अनुसार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की ओवरसाइज समिति (Oversight Committee) की निगरानी में प्रदेश के 31 जगहों से गंगा के सैंपल लिए गए थे। इन सैंपल की जांच में गंगा का पानी प्रदूषित पाया गया है। गंगा का जल कहीं पर भी पूरी तरीके से निर्मल नहीं मिला। समिति ने एनजीटी (NGT) से यूपी सरकार (UP Government) के शहरी विकास विभाग (Urban Development Department) , जल शक्ति विभाग (Jal Shakti Department) और यूपीपीसीबी (UPCB) को इस मामले में उचित कार्रवाई करने के आदेश देने की सिफारिश की है। इस समिति की अगुवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एसवीएस राठौर (SVS Rathore, former Justice of the Allahabad High Court) ने की थी।
सी और डी श्रेणी में पहुंचा गंगा का पानी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की रिपोर्ट के मुताबिक वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर, सोनभद्र, प्रयागराज, कन्नौज, कानपुर, हापुड़, बिजनौर और बदायूं समेत प्रदेशभर से 31 जगहों से गंगा के नमूने लिए गए। जांच में आई रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में गंगा नदी का जल अधिकतर जगहों पर सी और डी श्रेणी में है। उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (Uttar Pradesh Pollution Control Board) ने जनवरी 2023 में जारी रिवर वाटर क्वालिटी रिपोर्ट में बताया था कि वाराणसी में गंगा और गोमती नदी का पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है। इसका पानी प्रदूषित होते-होते ही यह डी कैटेगरी में पहुंच गया है।
गंगा के पानी की गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयास फेल
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (Kashi Hindu University) के गंगा वैज्ञानिक प्रो. एनडी त्रिपाठी (Ganga Scientist Prof. ND Tripathi) ने कहा कि गंगा नदी (River Ganges) के जल की क्वालिटी बढ़ाने के जो प्रयास किए जा रहे थे, वे सभी फेल हो गए हैं। गंगा नदी के पानी की सफाई के लिए जो विधिवत प्रयास होने चाहिए वो नहीं हो पा रहे हैं। लोग कहते हैं कि बाढ़ के पानी से आने वाली मिट्टी से गंगा नदी का जल दूषित हो गया है। इस सवाल पर उन्होंने कहा कि बाढ़ के पानी से पानी में सिर्फ मिट्टी आती है, प्रदूषण नहीं रहता है। पानी की क्वालिटी प्रदूषण के ऊपर निर्भर करती है। पानी में सिर्फ मिट्टी आने से प्रदूषण का स्तर नहीं बढ़ता है।
सही तरीके से नहीं किया जा रहा काम
प्रो. बीडी त्रिपाठी (Pro. BD Tripathi) ने कहा कि जब तक पानी में रासायनिक तत्व न हों, तब तक प्रदूषण का स्तर नहीं बढ़ता है। पानी में कूड़ा-कचरा जा रहा है। ऐसे में भी प्रदूषण बढ़ सकता है। जिस तरीके से गंगा सफाई के लिए काम किया जाना चाहिए था। उस तरीके से नहीं किया जा रहा है। विभागों के लोग कहते कुछ और हैं और करते कुछ और हैं। बता दें कि एनजीटी (NGT) की रिपोर्ट बताती है कि गंगा जल(Ganga Jal) की स्थिति की जो रिपोर्ट अभी आई है वह गंगा में बाढ़ से पहले की है। वहीं मौजूदा समय में जल में बहाव के साथ ही मिट्टी भी है।
रोजाना लगभग 50 हजार श्रद्धालु करते हैं स्नान
वाराणसी देश की धार्मिक राजधानी है। ऐसे में यहां पर आने वाले श्रद्धालु गंगा नदी (River Ganges) में स्नान भी करते हैं। वहीं काशी में श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Shri Kashi Vishwanath Corridor in Kashi) बनने के बाद से यहां पर रोजाना लाखों श्रद्धालुओं का आना होता है। अधिकतर श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) में दर्शन से पहले गंगा नदी (River Ganges) में स्नान करने के लिए जाते हैं। ऐसे में एनजीटी (NGT) जांच रिपोर्ट का कहना है कि वाराणसी में गंगा स्नान के लायक नहीं रह गई है। सावन के महीने में श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होती है। किसी खास पर्व पर यह संख्या 5 लाख के आस-पास होती है। वहीं सामान्य दिनों में भी रोजाना लगभग 50 हजार श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान करते हैं।
वैज्ञानिक रूप से नहीं किया गया एक भी काम
IIT BHU के गंगा वैज्ञानिक यूके चौधरी ने सरकार की नाकामी पर गुस्सा निकाला। उन्होंने कहा कि गंगा के लिए चलाई जा रही एक भी योजना को वैज्ञानिक रूप से एक्जीक्यूट नहीं किया गया है। गंगा की सफाई के लिए खर्च की बात की जाती है। सरकार गंगा के लिए सारा काम इंजीनियर्स से करवा रही है। इसलिए गंगा नदी (River Ganges) की रुग्णता (बीमारी) बढ़ती चली गई है। सिर्फ गंगा ही नहीं पूरे देश की नदियां सिल्ट जमा कर रहीं हैं। सरकार पैसे खर्च करने की बात कहती है। सब झूठ है। एक भी काम वैज्ञानिक रूप से नहीं किया गया है।
ऐसा ही हाल रहा तो गंगा समाप्त हो जाएगी
गंगा वैज्ञानिक यूके चौधरी ने कहा कि ‘जितने भी एसटीपी (STP) बने हैं, सारे के सारे गलत तरीके से गलत जगहों पर बनाए गए हैं। जितने भी आउटफॉल साइट्स हैं, सारे के सारे गलत तरीके से बने हैं। सरकार कहती है कि एक लाख करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। दस लाख करोड़ भी खर्च करें फिर भी गंगा की सफाई असंभव है। जब तक गंगा के लिए वैज्ञानिक रूप से काम नहीं किया जाएगा। चौधरी ने सरकार पर सवाल उठाते हुए ये बात कही। वह कहते हैं, ऐसा ही हाल रहा तो गंगा समाप्त हो जाएगी। उसका कोई अस्तित्व नहीं रहेगा। वाराणसी में सबसे अधिक प्रदूषण है। प्रधानमंत्री ने देश के लिए बहुत कुछ किया, लेकिन गंगा के लिए कुछ भी नहीं किया है।
जिम्मेदार ,बोले- नहीं मिली है रिपोर्ट
वहीं इस मामले में पॉल्यूशन अधिकारी वाराणसी एससी शुक्ला का कहना है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की पेश की गई ओवरसाइज कमेटी की रिपोर्ट के बारे में जानकारी नहीं है। हमारे पास रिपोर्ट आएगी तभी इस बारे में कुछ कह पाना संभव है। मौजूदा समय में गंगा में बाढ़ है। ये सैंपल बाढ़ से पहले लिए गए होंगे। बता दें कि वाराणसी समेत उत्तर प्रदेश के अधिकतर जगहों पर गंगा का पानी प्रदूषित पाया गया है। गंगा का पानी इस समय सी और डी ग्रेड में है। यह रिपोर्ट बाढ़ आने से पहले की है।