सनातन धर्म में शक्ति पूजा का विशेष महत्व है। शक्ति के रूप में मां दुर्गा और उनके विभिन्न् रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा विधि विधान से करने के लिए भक्त गण उत्सुक रहते हैं। सनातन धर्म में देवी आदिशक्ति देवी दुर्गा या सर्वेश्वरी और त्रिदेव जननी कहा गया है।
लखनऊ: सनातन धर्म में शक्ति पूजा का विशेष महत्व है। शक्ति के रूप में मां दुर्गा और उनके विभिन्न् रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा विधि विधान से करने के लिए भक्त गण उत्सुक रहते हैं। सनातन धर्म में देवी आदिशक्ति देवी दुर्गा या सर्वेश्वरी और त्रिदेव जननी कहा गया है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व साल में चार बार मनाया जाता है। चैत्र और शारदीय नवरात्र के साथ दो और नवरात्रि भी होती हैं, जिन्हें माघ नवरात्रि और आषाढ़ नवरात्रि कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 2021 में चैत्र नवरात्र का शुभारंभ 13 अप्रैल से हो रहा है और इसका समापन 22 अप्रैल को होगा। भक्त गण मां दुर्गा की पूजा के लिए साज सज्जा के साथ् कलश स्थापना करते है। इस चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी 13 अप्रैल को कलश स्थापना की जाएगी। नवरात्रि में कलश स्थापना का खास महत्व है। विधि पूर्वक कलश स्थापना करने से भक्तों को इसका पूर्ण लाभ मिलता है।
महानिशा पूजा
नवरात्र में महानिशा पूजा सप्तमी युक्त अष्टमी या मध्य रात्रि में निशीथ व्यापिनी अष्टमी में की जाती है। इस साल चैत्र नवरात्रि में महानिशा पूजा 20 अप्रैल को की जाएगी।
नवरात्रि पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को प्रात: काल स्नान करने के बाद आगमन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, अक्षत-पुष्प, धूप-दीप, नैवेद्य-तांबूल, नमस्कार-पुष्पांजलि और प्रार्थना आदि उपायों से पूजन करना चाहिए. देवी के स्थान को सुसज्जित कर गणपति और मातृका पूजन कर घट स्थापना करें. लकड़ी के पटरे पर पानी में गेरू घोलकर नौ देवियों की आकृति बनाएं या सिंह दुर्गा का चित्र या प्रतिमा पटरे या इसके पास रखें. पीली मिट्टी की एक डली और एक कलावा लपेट कर उसे गणेश स्वरूप में कलश पर विराजमान कराएं। घट के पास गेहूं या जौ का पात्र रखकर वरुण पूजन करें और भगवती का आह्वान करें।
माँ दुर्गा के नौ रूप
प्रथम रूप – शैलपुत्री
दूसरा रूप – ब्रह्मचारिणी
तीसरा रूप – चंद्रघंटा
चौथा रूप – कुष्मांडा
पांचवा रूप – स्कंदमाता
छठा रूप – कात्यायनी
सातवां रूप – कालरात्रि
आठवां रूप – महागौरी
नौवां रूप – सिद्धिदात्री
मां की कृपा पाने के लिए नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिये। दुर्गा सप्तशती में बताये मंत्रों और श्लोकों से मां शीघ्र ही प्रसन्न होती हैं। मां की पूजा देवी के जागरण को करके की जाती है। देवी जागरण के अलावा भक्तों को इन नौ दिनों में मंगल कार्यों को करना चाहिये। इन नौ दिनों के दौरान देवी की आराधना करने वाले भक्तों को ब्रह्मचर्य पालन का पालन करना चाहिए।