केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री (Union Road Transport and Highways Minister) नितिन गडकरी ( Nitin Gadkari) अपने बयान को लेकर फिर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने कहा कि वे ईमानदारी से चाहते हैं कि कांग्रेस (Congress) फिर मजबूत हो। लोकमत समाचार-पत्र समूह (Lokmat Newspaper Group) की ओर से दिए जाने वाले पत्रकारिता पुरस्कारों (Journalism Awards) के समारोह में उन्होंने यह बात कही। यह आयोजन इसी शनिवार, 26 मार्च को पुणे (Pune) में हुआ था।
पुणे। केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री (Union Road Transport and Highways Minister) नितिन गडकरी ( Nitin Gadkari) अपने बयान को लेकर फिर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने कहा कि वे ईमानदारी से चाहते हैं कि कांग्रेस (Congress) फिर मजबूत हो। लोकमत समाचार-पत्र समूह (Lokmat Newspaper Group) की ओर से दिए जाने वाले पत्रकारिता पुरस्कारों (Journalism Awards) के समारोह में उन्होंने यह बात कही। यह आयोजन इसी शनिवार, 26 मार्च को पुणे (Pune) में हुआ था।
गडकरी ने कहा कि ‘लोकतंत्र 2 पहियों पर चलता है। इसमें एक पहिया सत्ता पक्ष है तो दूसरा विपक्ष । मजबूत विपक्ष लोकतंत्र की आवश्यकता है। इसीलिए ईमानदारी से मैं चाहता हूं कि कांग्रेस फिर मजबूत हो। उसे मजबूत होना चाहिए, क्योंकि कांग्रेस के कमजोर होने से उसकी जगह क्षेत्रीय पार्टियां लेती जा रही हैं। यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। इतना ही नहीं उन्होंने दूसरे दलों में जाने वाले कांग्रेस नेताओं से कहा कि जिन लोगों की कांग्रेस की विचारधारा (Congress Ideology) में आस्था है, उन्हें पार्टी में रहना चाहिए। उसे छोड़ना नहीं चाहिए, चाहे कुछ भी हो जाए।
नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने अपना उदाहरण भी दिया है। उन्होंने बताया कि मैं 1978-80 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुआ। उस वक्त पार्टी के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पुणे आया था। जब रेलवे स्टेशन पर उतरा तो पार्टी की प्रचार सामग्री मेरे कंधों पर लदी हुई थी। उसी दौरान श्रीकांत जिचकर (महाराष्ट्र के पुराने कांग्रेसी नेता) ने मशविरा दिया कि मुझको किसी अच्छी पार्टी में शामिल होना चाहिए। ऐसी, जिसमें मेरा कोई भविष्य हो। तब भाजपा के सिर्फ 2 सांसद हुआ करते थे। तब मैंने उसने कहा कि मैं कुएं में कूदकर जान दे दूंगा लेकिन अपनी विचारधारा नहीं छोड़ूंगा।
नितिन गडकरी ने पुणे मेट्रो का जिक्र करते हुए भी कुछ संकेत दिए। उन्होंने कहा कि ‘कभी-कभी हमें अपने फैसले खुद ही किनारे करने पड़ते हैं। पुणे मेट्रो के काम को ही लीजिए. बरसों से इसका काम अटका हुआ था, लेकिन अब मैंने देवेंद्र फडणवीस (महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री) के साथ बैठकर मसलों का समाधान निकाल लिया है। अब पुणे मेट्रो का तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा।