लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) में एनडीए (NDA) को मात देने के लिए जो विपक्षी दल एक दूसरे के खिलाफ ज़हर उगलते थे। वे आज एक दूसरे के गलबहियां डाले दिखने लगे हैं। विपक्षी दलों आपसी मतभेद फ़िलहाल भुलाकर एक मंच पर आने की क़वायद तेज हो गई है। बिहार में आगामी 23 मई को होने वाली विपक्षी एकता की बैठक से पहले कई मुद्दों पर आपसी सहमति भी बन गई है।
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) में एनडीए (NDA) को मात देने के लिए जो विपक्षी दल एक दूसरे के खिलाफ ज़हर उगलते थे। वे आज एक दूसरे के गलबहियां डाले दिखने लगे हैं। विपक्षी दलों आपसी मतभेद फ़िलहाल भुलाकर एक मंच पर आने की क़वायद तेज हो गई है। बिहार में आगामी 23 मई को होने वाली विपक्षी एकता की बैठक से पहले कई मुद्दों पर आपसी सहमति भी बन गई है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो बैठक के बाद अब तक जिन मुद्दों पर सहमति बनी है, उनके बारे में काफ़ी साफ कर दिया जायेगा।
सूत्रों की मानें तो अब तक तय फार्मूले के मुताबिक नीतीश कुमार (Nitish Kumar) फूलपुर लोकसभा सीट (Phulpur Lok Sabha Seat) से भी चुनाव लड़ेंगे। इस सीट से जवाहर लाल नेहरु व राम मनोहर लोहिया भी लड़ चुके हैं। इस बार भाजपा को गैर यादव गैर कुर्मी ओबीसी का ही समीकरण साधना होगा। यूपी में अखिलेश यादव, कांग्रेस, जयंत चौधरी, रावण, जेडीयू के साथ ही तमाम छोटे दलों के साथ मिलकर फिर एक मोर्चा बना कर लड़ने की तैयारी में हैं। यूपी और यहां से बाहर के हर दल से गठबंधन के लिए बातचीत करने की जिम्मेदारी नीतीश कुमार पर डाली गई है। अभी तक तय फ़ार्मूले के मुताबिक प्रधानमंत्री का कोई चेहरा सामने नहीं किया जायेगा।
यूपीए अध्यक्ष (UPA Chairman)की ज़िम्मेदारी नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पर होगी। सूत्र बताते हैं कि नये गठबंधन में ममता, शरद पवार, शिवसेना, अखिलेश यादव, जयंत चौधरी, चंद्रशेखर राव, शरद पवार,अरविंद केजरीवाल, शिबू शोरेन, तेजस्वी यादव, महबूबा सईद, उमर अब्दुल्ला, जगन रेड्डी , स्टालिन और चौटाला सभी शामिल होंगे। यह भी कहा जा सकता है कि सीबीआई व ईडी की गिरफ़्त में आये सभी नेता एक मंच पर इकट्ठे होने की हामी भर चुके हैं। लेकिन जिस तरह अलग अलग राज्यों में कांग्रेस को साथ क्षेत्रीय दल दो दो हाथ कर रहे हैं। उससे यह दावा दूर की कौड़ी लगता है।
बता दें कि टोटकों के लिहाज से देखा जा रहा है कि 1977 में इंदिरा गांधी को पदच्युत करने के लिए बिहार के नेता के कंधे पर आंदोलन के ज़िम्मेदारी थी। इसकी भी रचना बिहार में ही तैयार हुई थी। कुछ उसी को दोहराने की तैयारी चल रही है।