एक देश एक चुनाव को लेकर अब सियासत गर्म होने लगी है। मोदी कैबिनेट ने 'एक देश एक चुनाव' बिल को मंजूरी दे दी है। अब सरकार इस बिल को संसद में अगले सप्ताह से पेश कर सकती है। अब इस बिल को लेकर सियासत शुरू हो गयी है। विपक्षी दल इस 'एक देश एक चुनाव' के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं और मोदी सरकार को घेरने में जुट गई है।
लखनऊ। एक देश एक चुनाव को लेकर अब सियासत गर्म होने लगी है। मोदी कैबिनेट ने ‘एक देश एक चुनाव’ बिल को मंजूरी दे दी है। अब सरकार इस बिल को संसद में अगले सप्ताह से पेश कर सकती है। अब इस बिल को लेकर सियासत शुरू हो गयी है। विपक्षी दल इस ’एक देश एक चुनाव’ के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं और मोदी सरकार को घेरने में जुट गई है। विपक्ष के नेताओं का कहना है, एक साथ उपचुनाव जब नहीं करा सकते हैं तो देश में एक साथ चुनाव कैसे करा पाएंगे।
वन नेशन-वन इलेक्शन पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने कहा, उस बिल में क्या है, वो हम देखेंगे। वन नेशन-वन इलेक्शन किस तरह से करते हैं और उसका विवरण क्या है। यह सब देखने के बाद प्रतिक्रिया देंगे। उन्होंने आगे कहा, यह हमने कहा था कि संविधान पर चर्चा होनी चाहिए क्योंकि असंवैधानिक चीज़े बहुत चल रही हैं…देश में शासन ठीक नहीं है इसलिए हम चाहते थे कि संविधान पर बहस हो ताकि सबको मालूम हो जाए कि सरकार का शासन किस ढंग से चल रहा है और लोगों को संविधान के तहत उनके हक मिल रहे हैं या नहीं। वहीं, ‘एक देश एक चुनाव’ पर बोलते हुए कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा, कांग्रेस पार्टी ने पहले ही इसपर अपनी राय रखी है कि यह हमारे संघीय ढांचे पर एक आक्रमण है और संसद में चुनाव प्रक्रिया पर चर्चा होनी चाहिए।
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने केंद्र सरकार की तरफ से प्रस्तावित ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को भेजने की मांग की है, उनका कहना है कि यह विधेयक लोकतंत्र को कमजोर करता है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि, यह विधेयक संसद में पेश किया जाएगा, और हम चाहते हैं कि पहले इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजा जाए, जो इस पर चर्चा करेगी। उन्होंने आगे कहा कि, पिछले साल पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थिति स्पष्ट की थी, जिन्होंने एक राष्ट्र, एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की समिति को चार पन्नों का पत्र भेजा था, जिसमें कहा गया था कि हम इस विधेयक का विरोध करते हैं। उन्होंने आगे टिप्पणी की, ‘यह लोकतंत्र और संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है।’
The country needs
ONE NATION, ONE EDUCATION
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ONE NATION, ONE HEALTHCARE SYSTEM
Not
ONE NATION, ONE ELECTION
BJP’s misplaced priorities
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 12, 2024
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वहीं, आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा, देश को जरूरत है, एक राष्ट्र, एक शिक्षा….एक राष्ट्र, एक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की। एक राष्ट्र, एक चुनाव…भाजपा की गलत प्राथमिकताए है।
The Union Cabinet has bulldozed their way through with the unconstitutional and anti-federal One Nation, One Election Bill, ignoring every legitimate concern raised by experts and opposition leaders.
This is not a carefully-considered reform; it's an authoritarian imposition…
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) December 12, 2024
लोकतंत्र को कमजोर करने का हो रहा प्रयास: ममता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के कदम को असांविधानिक और संघीय व्यवस्था के खिलाफ करार दिया। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि प्रस्तावित विधेयक एक देश, एक चुनाव सत्ता को केंद्रीकृत करने और भारत के लोकतंत्र को कमजोर करने का एक प्रयास है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विधेयक को नेकर विशेषज्ञों और विपक्षी नेताओं द्वारा उठाई गई चिंताओं को नजरअंदाज किया गया है। यह कोई सोच समझकर किया गया सुधार नहीं है। यह भारत के लोकतंत्र और संघीय ढांचे को कमजोर करने के लिए बनाया गया सत्तावादी थोपना है। उन्होंने लिखा कि हमारे सांसद संसद में इस क्रूर कानून का पूरी ताकत से विरोध करेंगे। बंगाल कभी भी दिल्ली की तानाशाही सनक के आगे नहीं झुकेगा। यह लड़ाई भारत के लोकतंत्र को निरंकुशता के चंगुल से बचाने के लिए है।