देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए लाए जा रहे संविधान संशोधन विधेयक को 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस विधेयक को चर्चा के लिए संसद की संयुक्त समिति को भेजा जा सकता है।
नई दिल्ली। देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए लाए जा रहे संविधान संशोधन विधेयक (Constitution Amendment Bill) को 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस विधेयक को चर्चा के लिए संसद की संयुक्त समिति को भेजा जा सकता है। सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024, जिसे ‘One Nation One Election’ विधेयक कहा जा रहा है, उसे केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Union Law Minister Arjun Ram Meghwal) लोकसभा में पेश करेंगे।
लोकसभा में विधेयक को पेश करने के बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Law Minister Arjun Ram Meghwal) , लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Lok Sabha Speaker Om Birla) से अपील कर सकते हैं कि विधेयक को विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेज दिया जाए। चर्चा के लिए एक संयुक्त समिति (JPC) का गठन किया जाएगा, जिसमें सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्षी सांसदों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा को इस समिति की अध्यक्षता मिलेगी। संयुक्त समिति में विभिन्न दलों के सांसदों की संख्या को आनुपातिक आधार पर तय किया जाएगा।
जेपीसी का कार्यकाल 90 दिन का रहेगा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह विधेयक (Union Home Minister Amit Shah Bill) पेश किए जाने के समय निचले सदन में मौजूद रह सकते हैं। पिछले सप्ताह केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का फैसला किया था। लोकसभा अध्यक्ष विधेयक पेश किए जाने वाले दिन ही उसे दिन जेपीसी को भेज सकते हैं। शुरू में, प्रस्तावित समिति (JPC) का कार्यकाल 90 दिनों का होगा, लेकिन बाद में इसे बढ़ाया जा सकता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसदीय और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए दो विधेयकों को मंजूरी दे दी है।
एक देश एक चुनाव ‘One Nation One Election’ पर सिफारिश देने वाली समिति के अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Former President Ram Nath Kovind) ने कहा था कि 32 दलों ने इस विचार का समर्थन किया है, जबकि 15 ने इसका विरोध किया है। देश में 1951 से 1967 के बीच एक साथ चुनाव हुए थे। एक साथ चुनाव कराने की अवधारणा 1983 से कई रिपोर्टों और अध्ययनों में शामिल रही है, जिसका उद्देश्य देश में एक साथ चुनाव कराना है।