देश के जाने-माने अर्थशास्त्री और सेवानिवृत्त प्रोफेसर पद्मश्री राधा मोहन नहीं रहे। उनका शुक्रवार तड़के निधन हो गया। गांधीवादी 78 वर्षीय प्रोफेसर का एक निजी अस्पताल में लंबे समय से इलाज चल रहा था।
भुवनेश्वर: देश के जाने-माने अर्थशास्त्री और सेवानिवृत्त प्रोफेसर पद्मश्री राधा मोहन नहीं रहे। उनका शुक्रवार तड़के निधन हो गया। गांधीवादी 78 वर्षीय प्रोफेसर का यहां एक निजी अस्पताल में लंबे समय से इलाज चल रहा था। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल सहित कई नेताओं ने शोक जताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्वीट कर लिखा- प्रोफेसर राधामोहन जी कृषि के प्रति विशेष रूप से स्थायी और जैविक प्रथाओं को अपनाने के प्रति गहरे जुनूनी थे। उन्हें अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी से संबंधित विषयों पर उनके ज्ञान के लिए भी सम्मानित किया गया था। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। शांति।
Prof Radhamohan Ji was deeply passionate about agriculture, especially adopting sustainable and organic practices. He was also respected for his knowledge on subjects relating to the economy and ecology. Saddened by his demise. Condolences to his family and admirers. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 11, 2021
राधा मोहन को 2020 में कृषि में उनके काम के लिए भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। प्रो. राधा मोहन विलुप्त होती फसलों के सरंक्षण पर लंबे समय से काम कर रहे थे। ओडिशा के नारायगढ़ जिले में रहने वाले प्रो. अपनी बेटी के साथ मिलकर संभव रिसोर्स सेंटर के जरिये देशभर से आए किसानों के साथ बीजों की अदला-बदली करते थे। इसका मकसद फसलों को समृद्ध करना था। वे जैविक खेती को भी बढ़ावा दे रहे थे। प्रो. लंबे समय से बीमार थे। उन्हें निमोनिया हो गया था। राज्य सूचना आयुक्त रहने से पहले वे पुरी के एसएस कॉलेज के प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे।
प्रो. पिछले 30 सालों से अपनी बेटी के साथ मिलकर बंजर भूमि को हरे-भरे खाद्य वन में बदलने की मुहिम में लगे थे। उनके इसी प्रयास को देखते हुए पद्मश्री से नवाजा गया था।