पीपल के बारे में कहा जाता, पीपर पात सरिस मन डोला, इसका अर्थ है, मन पीपल के पत्ते की तरह है, जो ज़रा सी हवा में भी हिलने लगता है।
Peepal ke ped ke fayde : पीपल के बारे में कहा जाता, पीपर पात सरिस मन डोला, इसका अर्थ है, मन पीपल के पत्ते की तरह है, जो ज़रा सी हवा में भी हिलने लगता है। सनातन धर्म में पीपल को दैवीय वृक्ष माना जाता है। पर्यवारण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस विशाल वृक्ष की शीतल छाया जीव जगत में निवास करने वाले जीवों को छाया प्रदान करती है। यह एक दैवीय वृक्ष है। पीपल के पेड़ को वासुदेव भी कहते है। पीपल पेड़ में त्रिदेव यानी जड़ में ब्रह्मा, तने में विष्णु और ऊपर के भाग में भगवान शिव का वास होता है। पीपल के पेड़ के अलावा इसके पत्ते भी काफी चमत्कारी होते हैं।
भारतीय ग्रंथों में यज्ञों में समिधा के निमित्त पीपल, बरगद, गूलर और पाकर वृक्षों के काष्ठ को पवित्र माना गया है। और कहा गया है यह चारों वृक्ष सूर्य की रश्मियों के घर हैं। इनमें पीपल को सबसे पवित्र माना जाता है।
पूजा के फायदे
महामुनी व्यास के अनुसार प्रातः स्नान के बाद पीपल का स्पर्श करने से व्यक्ति के समस्त पाप भस्म हो जाते हैं तथा लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। उसकी प्रदक्षिणा करने से आयु में वृद्धि होती है, अश्वत्थ वृक्ष को दूध, नैवेद्य, धूप-दीप, फल-फूल अर्पित करने से मनुष्य को समस्त सुख वैभव की प्राप्ति होती है।
यों तो भारतीय ग्रंथों में एवं उपनिषदों में ऐसे बहुत से वृक्ष हैं, जो पवित्र और पूजनीय माने जाते हैं। भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थ:सर्ववृक्षाणां कह कर पीपल को अपना स्वरूप बताया है।
तंत्र मंत्र की दुनिया में पीपल का बहुत महत्व है।
पीपल की जड़ के निकट बैठकर जो लोग जप, दान, होम, स्त्रोत पाठ और अनुष्ठान करते हैं, उनको उसका अक्षय फल प्राप्त होता है।