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Pitru Paksha 2022: पितृपक्ष में पूर्वजों के निमित्त तर्पण और पिंडदान किया जाता है, जानें कितने प्रकार के होते हैं श्राद्ध

सनातन धर्म में घर के बड़े बुर्जुग के प्रति विशेष आस्था होती है। घर के बड़े वुर्जुगों का आदर और संम्मान की परंपरा यहा सदियों से चली आ रही है। Pitru

By अनूप कुमार 
Updated Date

Pitru Paksha 2022:   सनातन धर्म में घर के बड़े बुर्जुग के प्रति विशेष आस्था होती है। घर के बड़े वुर्जुगों का आदर और संम्मान की परंपरा यहा सदियों से चली आ रही है। जीवन पूरा करने के बाद घर के बुर्जुग के देहान्त के बाद भी उन्हें याद किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है। इसके लिए वर्ष में पितृपक्ष के समय मृत पूर्वज की तिथि के अनुसार उनका पिंडदान किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पितृपक्ष में पूर्वजों के निमित्त तर्पण और पिंडदान किया जाता है। पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष की शुरुआत इस साल 10 सितंबर से हो रही है जोकि 25 सितंबर तक रहेगी। आइए जानते हैं कि पूर्वजों की आत्मा की शांति , मोक्ष के लिए कितने प्रकार के श्राद्ध किए जाते हैं।
 श्राद्ध के प्रकार
नित्य श्राद्ध – ऐसे श्राद्ध प्रतिदिन किए जाते हैं. इस श्राद्ध को अर्घ्य तथा आवाहन के बिना ही किसी निश्चित अवसर पर किया जाता है।
नैमित्तिक श्राद्ध – यह श्राद्ध देवताओं के लिए किया जाता है. यह श्राद्ध पुत्र जन्म आदि के समय किया जाता है. इसका समय निश्चित होता है।
काम्य श्राद्ध – यह श्राद्ध किसी विशेष फल या फिर कहें मनोकामना की पूर्ति के लिए किया जाता है। अमूमन इस श्राद्ध को लोग मोक्ष, संतति आदि मनोकामना पूर्ति के लिए के लिए करते हैं।
शुद्धयर्थ श्राद्ध – यह श्राद्ध शुद्धि की कामना के लिए किया जाता है।
पुष्टयर्थ श्राद्ध – यह श्राद्ध तन, मन, धन, अन्न आदि की पुष्टि के लिए किया जाता है।
दैविक श्राद्ध – इस श्राद्ध को आराध्य देवी-देवताओं का आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है।
यात्रार्थ श्राद्ध – इस श्राद्ध को किसी सुरक्षित और सफल यात्रा की कामना को लिए किया जाता है।
कर्मांग श्राद्ध – इस श्राद्ध को सनातन परंपरा में किए जाने वाले 16 संस्कारों के दौरान किया जाता है।

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