आगामी विधानसभा चुनाव में कोई कमजोर कड़ी न रह जाए। इसके तहत अब समाजवादी पार्टी की निगाह अब दलित वोट बैंक पर है। इसे अपने पाले में करने का प्रयास तेज कर दिया है। इसका आधार बाबा साहेब वाहिनी बनेगी । इसके गठन की कवायद तेज कर दी गई है।
लखनऊ। आगामी विधानसभा चुनाव में कोई कमजोर कड़ी न रह जाए। इसके तहत अब समाजवादी पार्टी की निगाह अब दलित वोट बैंक पर है। इसे अपने पाले में करने का प्रयास तेज कर दिया है। इसका आधार बाबा साहेब वाहिनी बनेगी । इसके गठन की कवायद तेज कर दी गई है। वाहिनी की कमान अब ऐसे दलित युवाओं को देने की तैयारी है। राष्ट्रीय नेतृत्व ऐसे चेहरे को वाहिनी की जिम्मेदारी देना चाहता है, जो निर्विवाद होने के साथ उच्च शैक्षणिक योग्यता भी रखता हो।
दलितों से जुड़े मुद्दे को लेकर संघर्ष करने का माद्दा रखता हो। इस योजना को अंतिम रूप देने के लिए कई संभावित चेहरों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। बता दें कि सपा ने गत 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती धूमधाम से मनाई थी। पार्टी कार्यालय से लेकर जिला कार्यालय तक दीपोत्सव मना और लोहिया वाहिनी की तर्ज पर बाबा साहेब वाहिनी गठन की रूपरेखा तैयार हुई।
पार्टी में सक्रिय कई दलित चेहरे इसकी जिम्मेदारी संभालने के लिए निरंतर प्रदेश कार्यालय की परिक्रमा कर रहे हैं। सपा के रणनीतिकारों का कहना है कि पार्टी में हर वर्ग के लोग हैं, लेकिन वोट बैंक के रूप में मुस्लिम-यादव (एम-वाई) समीकरण को ही अहम माना गया है। जबकि बसपा के साथ दलित वोट बैंक हैं।
बदले सियासी समीकरण को ध्यान में रखते हुए सपा दलित वोट बैंक को अपने साथ लेने की ख्वाहिशमंद है। विभिन्न विश्वविद्यालयों में दलित छात्रनेताओं की नई पौध तैयार हुई है। सपा इन्हें अपने पाले में करना चाहती है। पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि सपा जाति, धर्म से ऊपर उठकर जनता के हितों की रक्षा करने वालों को तवज्जो देते है। यही वजह है कि बड़ी संख्या में हर वर्ग के लोग पार्टी से जुड़ रहे हैं।
15 जुलाई को तहसील स्तर पर होने वाले प्रदर्शन के बाद बड़ी संख्या में दलित नेता लेंगे सदस्यता
पार्टी रणनीतिकारों का कहना है कि विभिन्न दलों के दलित नेता लगातार पार्टी के संपर्क में हैं। इन्हें शामिल करने से पहले जिला कमेटी से परामर्श लिया गया है। जिनके नाम पर कमेटी ने हरी झंडी दी है, उन्हें शामिल कर लिया गया। कुछ की ज्वाइनिंग अभी फंसी हुई है। उम्मीद है कि 15 जुलाई को तहसील स्तर पर होने वाले प्रदर्शन के बाद बड़ी संख्या में दलित नेता सपा की सदस्यता लेंगे।