बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद भी हिंसा जारी है। इसकी जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हिंसा की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी SIT के गठन की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई की है। सुनवाई के दौरान शीर्ष न्यायालय ने कथित राज्य प्रायोजित चुनावी हिंसा की एसआईटी जांच की मांग करने वाली एक याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया।
नई दिल्ली। बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद भी हिंसा जारी है। इसकी जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हिंसा की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी SIT के गठन की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई की है। सुनवाई के दौरान शीर्ष न्यायालय ने कथित राज्य प्रायोजित चुनावी हिंसा की एसआईटी जांच की मांग करने वाली एक याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विनीत सरण और बीआर गवई की पीठ ने समाजिक कार्यकर्ता अरुण मुखर्जी और चार अन्य लोगों की याचिका पर यह नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने इस मामले में NHRC, नेशनल कमिशन फॉर एससी व एसटी और नेशनल कमिशन फॉर वुमेन, NCPCR को भी पार्टी बनाया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 जून से शुरू होने वाले हफ्ते में होगी।
वरिष्ठ वकील पिंकी आनंद ने याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट में कहा कि मानवाधिकार संगठनों को इस केस में पार्टी इसलिए बनाया जाना चाहिए क्योंकि हिंसा की वजह से महिलाओं, बच्चों ने जो परेशानियां झेली हैं, उनपर इन संगठनों ने रिपोर्ट तैयार की हैं। कोर्ट ने यह अपील मान ली और इन संगठनों को भी पार्टी बना दिया।
भाजपा ने टीएमसी पर बदले की भावना से मर्डर का आरोप लगाया है। वहीं, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा कि भाजपा सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें फैला रही है।भाजपा ने उत्तर 24 परगना जिले के अमदंगा विधानसभा क्षेत्र, बांकुरा जिले के कोतुलपुर और मालदा जिले के मोथाबाड़ी इलाके में पार्टी कार्यकर्ताओं के शवों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की और टीएमसी पर उन्हें मारने का आरोप लगाया। घटनाओं की पुलिस जांच के परिणामस्वरूप यह निष्कर्ष निकला कि ये मौतें या तो आत्महत्या से हुई थीं या दुर्घटनावश डूबने से हुई थीं।