सनातन धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है। हिंदी पंचांग के अनुसार,प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष और शुक्लपक्ष में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है।
Pradosh Vrat: सनातन धर्म मेंभगवान शिव और माता पार्वती की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है। हिंदी पंचांग के अनुसार,प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष और शुक्लपक्ष में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है। पंचांग के अनुसार सूर्यास्त और रात्रि के संधिकाल के समय को प्रदोष कहा जाता है। यह समय शिव की साधना.आराधना के लिए अत्यंत ही शुभ और फलदायी माना गया है।
जिस प्रदोष व्रत को करने पर साधक को जीवन से जुड़े सभी कष्टों से शीघ्र ही मुक्ति और सुख.सौभाग्य की प्राप्ति होती है वह सितंबर के महीने की 08 और 23 तारीख को पड़ेगा। चूंकि 08 तारीख को गुरुवार और 23 तारीख को शुक्रवार पड़ेगा इसलिए इन दोनों प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत और शुक्र प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा।
मान्यता है कि जब प्रदोष व्रत गुरुवार के दिन पड़ता है तो उसे विधि -विधान से करने पर साधक को न सिर्फ सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती हैए बल्कि उसके जीवन से जुड़ी सभी प्रकार की बाधा और शत्रु भय दूर होता है।