पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) में चल रहा विवाद अब खत्म हो गया है। कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू (captain and sidhu) के बीच चल रही सियासी खींचतान पर विराम लगने कीे बात कही जा रही है। दरअसल, सिद्धू के पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह इसका विरोध कर रहे थे।
नई दिल्ली। पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) में चल रहा विवाद अब खत्म हो गया है। कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू (captain and sidhu) के बीच चल रही सियासी खींचतान पर विराम लगने कीे बात कही जा रही है। दरअसल, सिद्धू के पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह इसका विरोध कर रहे थे।
उन्होंने कांग्रेस हाईकमान को इसको लेकर पत्र भी लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि हाईकमान पंजाब की राजनीति में दखल न दें। कैप्टन के इस पत्र के बाद भी कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धू को पंजाब का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। वहीं, कांग्रेस पंजाब के अध्यक्ष बनाए जाने के बाद भी सिद्धू की ताजपोशी से पहले चाय पर कैप्टन से उनकी मुलाकात हुई।
इस दौरान दोनों नेताओं के बीच गर्मजोशी से मुलाकात हुई। बताया जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान दोनों के बीच चल रही खींचतान खत्म हो गयी है। वहीं, इस मुलाकात के बाद समर्थकों में भी खुशी देखने को मिली है।
जानिए क्यों शुरू हुआ विवाद
पंजाब कांग्रेस में कैप्टन अमरिंदर सिंह (amarinder singh and navjot singh sidhu) का राजनैतिक कद बहुत बड़ा है। 2017 के विधानसभ चुनाव में कैप्टन के मेहनत रंग लाई थी, जिसके कारण पंजाब में पूर्ण बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनी थी। हालांकि, सिद्धू ने भी सरकार बहाने क लिए खूब पसीने बहाए थे। वहीं, पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनते ही सिद्धू को कैप्टन सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। हालांकि, इन सबके बीच दोनों के बीच सियासी खींचतान तब बढ़ी जब सिद्धू पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की ताजपोशी में पहुंचे गए। सिद्धू के इस फैसले से कैप्टन बेहद ही नाराज हुए थे और उन्होंने इसकी आलोचना भी जमकर की थी।
अरुण जेटली को हराने के बाद हाईकमान को भरोसा और बढ़ा
कैप्टन अमरिंदर का पंजाब में सिक्का चलता है। लोग कैप्टन के हर कदम की बेहद ही सराहना करते हैं। वह हर वर्ग को अपने साथ लेकर चलते थे। कांग्रेस हाईकमान को भरोसा उन पर तब और बढ़ गया जब उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता अरुण जेटली को चुनाव हरा दिया था। हालांकि, उस दौरान कैप्टन विधायक थे। वहीं, इसको देखते हुए 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हाईकमान ने कैप्टन के ऊपर भरोसा जताया और उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा। लिहाजा, कांग्रेस ने 10 साल बाद वहां पर वापसी की। कैप्टन के करिश्में से पंजाब ने 117 में से 77 सीटें जीती थी।
मोदी लहर में भी कैप्टन का चला सिक्का
पंजाब कांग्रेस में कैप्टन का सिक्का चलता है। वह जमीनी नेता कहे जाते हैं। बता दें कि, लोकसभा चुनाव 2019 में भी मोदी लहर के दौरान उन्होंने पंजाब में अपना कमाल दिखा दिया। 13 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस ने 8 सीटें जीतीं, जिसके कारण पंजाब में उनका और ज्यादा वर्चस्व बढ़ गया।