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सऊदी अरब के युवराज सताया अपनी हत्या का डर, अमेरिका से कहा आ सकते हैं इस्लामिक कट्टरपंथियों के निशाने पर

सऊदी अरब (Saudi Arabia) के युवराज मोहम्मद बिन सलमान (Saudi Crown Prince Mohammed Bin Salman) को अपनी हत्या का डर सता रहा है। ये खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि खुद मोहम्मद बिल सलमान ने ही किया है। बता दें कि सऊदी युवराज (Saudi Crown Prince) को डर है कि अगर वे इस्राइल, अमेरिका और सऊदी अरब (Saudi Arabia)  की संभावित डील पर आगे बढ़ते हैं तो उनकी हत्या हो सकती है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

रियाद। सऊदी अरब (Saudi Arabia) के युवराज मोहम्मद बिन सलमान (Saudi Crown Prince Mohammed Bin Salman) को अपनी हत्या का डर सता रहा है। ये खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि खुद मोहम्मद बिल सलमान ने ही किया है। बता दें कि सऊदी युवराज (Saudi Crown Prince) को डर है कि अगर वे इस्राइल, अमेरिका और सऊदी अरब (Saudi Arabia)  की संभावित डील पर आगे बढ़ते हैं तो उनकी हत्या हो सकती है।

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सऊदी युवराज ने जताया इस बात का डर

पॉलिटिको में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, मोहम्मद बिन सलमान (Mohammed Bin Salman) से इस्राइल-सऊदी अरब-अमेरिका (Israel-Saudi Arabia-America) की संभावित डील को लेकर अमेरिकी अधिकारियों ने मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान ही सऊदी युवराज ने कहा कि अगर वे इस डील पर आगे बढ़ते हैं तो उनकी हत्या भी हो सकती है। इस पर जब अमेरिकी अधिकारियों ने उनकी सुरक्षा का कथित आश्वासन दिया तो मोहम्मद बिन सलमान (Mohammed Bin Salman) ने अमेरिकी अधिकारियों से पूछा कि जब मिस्त्र के राष्ट्रपति अनवर सादात (President Anwar Sadat) को साल 1981 में इस्लामिक आतंकियों ने मार डाला था, तब अमेरिका ने क्या किया था? हालांकि रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी युवराज (Saudi Crown Prince) ने संभावित खतरे के बावजूद डील पर आगे बढ़ने का आश्वासन दिया क्योंकि यह समझौता उनके देश के भविष्य के हित में है।

समझौते के तहत सऊदी अरब को मिलेगा ये फायदा

उल्लेखनीय है कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, समझौते के तहत अमेरिका, सऊदी अरब (Saudi Arabia)  की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, साथ ही अमेरिका, सऊदी अरब (Saudi Arabia) के नागरिक परमाणु कार्यक्रम में भी मदद करेगा। अमेरिका समझौते के तहत अमेरिका, सऊदी अरब (Saudi Arabia) में तकनीक के क्षेत्र में भी निवेश करेगा। इसके बदले में सऊदी अरब (Saudi Arabia)  को चीन के साथ अपने संबंधों को सीमित करना होगा और साथ ही इस्राइल (Israel) के साथ अपने कूटनीतिक रिश्तों को कायम करना होगा।

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अगर सऊदी अरब (Saudi Arabia) , इस्राइल (Israel) के साथ अपने कूटनीतिक संबंध स्थापित करता है तो इससे इस्राइल (Israel) को बड़ा फायदा मिलेगा क्योंकि अरब दुनिया में सऊदी अरब (Saudi Arabia) का बहुत बड़ा प्रभाव है। हालांकि सऊदी अरब (Saudi Arabia)  के युवराज इसी बात से डरे हुए हैं कि अगर उन्होंने फलस्तीन को अलग देश का दर्जा दिलाए बगैर इस्राइल (Israel) के साथ कूटनीतिक रिश्ते स्थापित किए तो वह इस्लामिक कट्टरपंथियों के निशाने पर आ सकते हैं।

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