रुद्राक्ष को अचूक और चमत्कारी माना गया है। भगवान शिव के उपासक इसकी माला धारण करते है।
Sawan Mein Rudraksh Ke Chamatkar : रुद्राक्ष को अचूक और चमत्कारी माना गया है। भगवान शिव के उपासक इसकी माला धारण करते है। रुद्राक्ष धार्मिक एवं औषधीय वृक्ष है।भगवान शिव के प्रसाद के रूप में रुद्राक्ष को स्वीकार किया जाता है।गवान शिव की पूजा में रुद्राक्ष एक अभिन्न अंग है। रुद्राक्ष की पूजा और इसकी माला से शिव मंत्रों का जप करने से शिव भक्ति का भाव जागृत होता है।
सावन मास में रुद्राक्ष धारण करना सबसे पुनीत और चमत्कारी फल देना वाला होता है। तीन मुखी रुद्राक्ष को साक्षात ब्रह्मा, विष्णु, और शिव का स्वरुप माना जाता है। इसलिए सावन मास में तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने पर त्रिदेवों को कृपा बरसती है।तीन मुखी रुद्राश में अग्नि तत्व की प्रधानता होती है, अग्नि तत्व में पंच तत्वों में भी प्रमुख तत्व माना जाता है।
माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसू की बूंदों से हुई है। शैव परंपरा में रुद्राक्ष को बहुत पवित्र माना गया है। शिव भक्त इसे अपनी सुरक्षा कवच के तौर धारण करते हैं। इसे धारण करने से पहले इसका विधि-विधान से पूजन और ॐ नमः शिवाय का मंत्र जाप किया जाता है।
रुद्राक्ष धारण करने की विधि
1. रुद्राक्ष को पंचामृत (दूध-दही-शहद-घी-गंगाजल) के मिश्रण से स्नान कराने के बाद अंत में गंगाजल से स्नान कराये।
2. घर के पूजा स्थल या किसी शिव मंदिर में गाय के घी का दीपक जलाकर बैठे।
3.अष्टगंध या चंदन से तिलक कर रुद्राक्ष को पूजा स्थल पर लाल कपड़ा बिछाकर अपने सामने रखें।
4.हाथ में थोडा जल लेकर संकल्प लें– हे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्ति हेतु व मनवांछित फल की प्राप्ति हेतु इस रुद्राक्ष को अभिमंत्रित कर रहा हूं, यह मेरे कार्यों में मुझे पूर्णता प्रदान करें, ऐसा कहते हुए जल को नीचे जमीन पर छोड़ दें।