"देवी पूजी पद कमल तुम्हारे, सुर नर मुनि सब होय सुखारे" का हिंदी भावार्थ में शक्ति की पूजा का भाव छिपा है। भक्ति से शक्ति तक की यात्रा देवी पूजा से आरंभ हो कर देवी के पद कमल में सन्निहित हो जाती है।
Navratri Mein Shakti Upasana : “देवी पूजी पद कमल तुम्हारे, सुर नर मुनि सब होय सुखारे” का हिंदी भावार्थ में शक्ति की पूजा का भाव छिपा है। भक्ति से शक्ति तक की यात्रा देवी पूजा से आरंभ हो कर देवी के पद कमल में सन्निहित हो जाती है। यह चौपाई रामचरितमानस के बालकाण्ड में सीता माता द्वारा पार्वती जी की स्तुति में कही गई है। चैत्र नवरात्रि मां दुर्गा की सेवा पूजा कर उनकी कृपा पाने का विशेष् समय है। नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा मेंं मंत्र और उनकी आरती करने से माता रानी प्रसन्न होती है। इसी प्रकार माता के नौ रूपों की पूजा करने में उनके प्रिय भोग लगाने से जगतजननी मां दुर्गा प्रसन्न हो कर कृपा करती है। शेर पर सवार मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके प्रिय पुष्प चढ़ाने चाहिए। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों के मंत्रों का जाप करना विशेष होता है।
नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा के लिए समर्पित होते हैं, जिनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल हैं।
चैत्र नवरात्रि देवी की पूजा का विशेष काल है। इस अवसर पर देवी के चरण कमलों की पूजा करके देवता, मनुष्य और मुनि सभी सुखी हो जाते हैं, अर्थात देवी की पूजा से शक्ति और सुख प्राप्त होते हैं। यह चौपाई भक्ति के मार्ग से शक्ति तक की यात्रा का प्रतीक है, जहाँ देवी की पूजा भक्ति का आरंभ है और देवी के चरणों में समर्पण शक्ति प्राप्त करने का मार्ग है। यह देवी की महिमा और शक्ति का वर्णन करता है, जहाँ उनकी पूजा से सभी प्राणी सुखी और संतुष्ट होते हैं। इस चौपाई में सुख, कल्याण और मुक्ति का संदेश छिपा है, जो देवी की कृपा से प्राप्त होती है। देवता, मनुष्य और ऋषि सभी देवी की पूजा से सुखी होते हैं।
नवरात्रि की नौ रातें शक्ति की जागृति और ऊर्जा के संचार का प्रतीक हैं, जो भक्तों को अपने भीतर की शक्ति को पहचानने और उसका उपयोग करने में मदद करती हैं।