विजयदशमी पर रावण दहन के बाद देश के कई हिस्सों में शमी के पत्ते को सोना समझ कर देने का प्रचलन है। कई जगहों पर इसके वृक्ष की पूजा भी की जाती है।
Shami Puja On Dussehra : विजयदशमी पर रावण दहन के बाद देश के कई हिस्सों में शमी के पत्ते को सोना समझ कर देने का प्रचलन है। कई जगहों पर इसके वृक्ष की पूजा भी की जाती है। भगवान शिवजी को शमी बहुत प्रिय है। सनातन धर्म में विजयदशमी (Shami Puja On Vijayadashami) के दिन शमी के पेड़ की पूजा करना सदियों पुरानी परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि विजयदशमी (Shami Puja) के दिन शाम के समय शमी के वृक्ष की पूजा करने से आरोग्य और धन की प्राप्ति होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जब भगवान राम लंका पर आक्रमण करने के लिए निकल रहे थे, तब उन्होंने पहले शमी के वृक्ष के सामने अपनी जीत की प्रार्थना की थी। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने शमी की पत्तियों का स्पर्श किया और उन्हें विजय प्राप्त हुई और यह परंपरा आज तक चली आ रही है कि शमी की पत्तियां विजयदशमी के दिन स्पर्श करने या एक दूसरे को देने से सुख-समृद्धि और विजय प्राप्त होती है।