HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. जीवन मंत्रा
  3. …तो इसलिए हर पिता अपनी बेटियों का करता हैं कन्या ‘दान’

…तो इसलिए हर पिता अपनी बेटियों का करता हैं कन्या ‘दान’

शादी की रस्मों में दो पल ऐसे होते है जिन्हें बेहद भावुक करने वाला माना जाता है पहला कन्यादान की रस्म और दूसरी लड़की की विदाई। जिंदगी भर हर पिता अपनी बेटी को परियों की तरह रखता है...

By प्रिन्सी साहू 
Updated Date

शादी की रस्मों में दो पल ऐसे होते है जिन्हें बेहद भावुक करने वाला माना जाता है पहला कन्यादान (Kanyadan) की रस्म और दूसरी लड़की की विदाई। जिंदगी भर हर पिता अपनी बेटी को परियों की तरह पालता है और फिर एक दिन इस रस्म के द्वारा कन्या दान कर देता है।

पढ़ें :- ये चार चीजें आज कर दें बंद, हमेशा स्वस्थ्य और जवान रहेंगे : डॉक्टर डॉ. नरेश त्रेहान

kanya daan

यह परंपरा भारत में सदियों से चली आ रही है। कन्यादान (Kanyadan)  पिता और उसकी बेटी के रिश्ते को दिखाता है। क्योंकि पिता के लिए उसकी बेटी सबसे कीमती धन होती है, जिसे वो बहुत ही प्यार और दुलार से पालता है। पिता को इस बात का अहसास होता है कि उनको एक दिन उसका कन्यादान (Kanyadan) करना है।

kanya daan

हिंदू शादी में सात वचनों के साथ लगने वाले फेरों के बाद जब दुल्हन का पिता दूल्हे पर अपना हाथ रखता है। दूल्हे के हाथ में बेटी का हाथ देना दामाद को बेटी की जिम्मेदारी सौंपने का प्रतीक होता है।

पढ़ें :- डेंगू या मलेरिया होने पर मां अपने शिशु को स्तनपान करा सकती है या नहीं

kanya daan

कन्यादान शादी की सबसे अहम रस्म और प्रतिष्ठान होता है। मान्यता के अनुसार, दूल्हे को भगवान विष्णु का प्रतिरूप कहा जाता है। इसलिए, कन्यादान (Kanyadan)  के साथ, माता-पिता भगवान के प्रतिनिधित्व के तौर पर दूल्हे को अपनी बेटी उपहार देते हैं।

कन्यादान (Kanyadan)  के बिना शादी अधूरी विवाह में कन्यादान के बिना शादी अधूरी मानी जाती है। कन्यादान एक बेटी को पत्नी बनने और शादी के बाद नए परिवार को गले लगाने को स्वीकारता है।

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...