भारत के 75 वां स्वतंत्रता पर हर किसी के अंदर एक अलग ही उमंग देखें को मिल रही हैं जहां एक दिन पहले ही पूरे देश को दुल्हन की तरफ सजाया गया हैं वहीं दूसरी तरफ कई लोग ऐसे भी हैं जो इस आजादी के कई किस्सों को पढ़ कर हैरान हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसा किस्सा सुनाएंगे जिसे पढ़ने के बाद आपकी छाती भी 46इंच की हो जाएगी।
नई दिल्ली: लिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा,
मेरे हर एक लहू का कतरा इकलाब लाएगा,
मैं रहूँ या न रहूँ पर यह वादा है तुमसे मेरा की,
मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आएगा।
भारत के 75 वां स्वतंत्रता पर हर किसी के अंदर एक अलग ही उमंग देखें को मिल रही हैं जहां एक दिन पहले ही पूरे देश को दुल्हन की तरफ सजाया गया हैं वहीं दूसरी तरफ कई लोग ऐसे भी हैं जो इस आजादी के कई किस्सों को पढ़ कर हैरान हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसा किस्सा सुनाएंगे जिसे पढ़ने के बाद आपकी छाती भी 46इंच की हो जाएगी।
अगर आपके मन में भी ये बात केएचटीके रही है कि स्वतंत्रता का दिन 15 अगस्त, साल 1947 और समय रात 12 बजे ही क्यों चुना गया ? तो आज हम आपके इस सवाल का जवाब ले कर आए हैं और आपको बताएँगे आखिर इसके पीछे कि असल वजह क्या है। आइये जानतें हैं….
आप जानते है ब्रिटिशो ने भारत के आज़ादी का दिन 3 जून 1948 तय किया था। लेकिन परिस्थिति ही कुछ ऐसी बन गई कि आज़ादी की तारीख बदलनी पडी। दरअसल द्वितीय साल 1945 में हुए विश्वयुद्ध में सबसे ज्यादा नुकसान ब्रिटिशो को ही हुआ था। ब्रिटिश इतने कमज़ोर हो गए थे कि वे अपने देश में ही ठीक से राज़ नहीं चला पा रहे थे। ऐसे में गांधी जी का सत्याग्रह आन्दोलन और सुभाष चन्द्र बॉस के आज़ाद हिन्द फौज ने ब्रिटिशो के नाक में दम कर रखा था।
इसके अलावा जिन्ना भी अलग पाकिस्तान देश की मांग कर रहे थे।
उस समय भारत को बड़े कायदे से स्वत्रंत करने की ज़िम्मेदारी लार्ड माउंटबैटन दी गई थी। माउंट बैटन ब्रिटिशो में बड़े ही समझदार अधिकारियों में गिने जाते थे। गांधीजी के दबाव के चलते और स्वंत्रत भारत निर्माण के लिए लार्ड माउंटबैटन को भारत की आज़ादी का साल 1947 चुनना पडा।
दरअसल लार्ड माउंटबैटन के लिए 15 अगस्त शुभ दिन था। इसी दिन उनकी बेटी भी जन्मी थी और 15 अगस्त के दिन ही द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान आर्मी ने ब्रिटिशो के सामने आत्मसमर्पण किया था। उस समय लार्ड माउंटबैटन अलाइड फ़ोर्स के कमांडर थे।
15 अगस्त 1947 की रात बजे भारत देश को आज़ाद करने के पीछे भारत के ज्योतिषों और धर्म पंडितो का हाथ था। ज्योतिषों के हिसाब से 15 अगस्त 1947 का दिन भारत की आज़ादी के लिए ठीक नहीं था। लेकिन उस समय के ब्रिटिश अगुआ लार्ड माउंटबैटन ने जिद पकड रखी थी कि भारत को 15 अगस्त के दिन ही आज़ाद करेंगे, क्योकि 15 अगस्त लार्ड माउंटबैटन के लिए लक्की तारीख थी। ऐसे में ज्योतिषों ने एक गंभीर सुझाव निकाला।
ज्योतिषों ने कहा कि भारत को ठीक 15 अगस्त की रात 12 बजे आज़ाद किया जाए। दरअसल भारत में अगला दिन सुर्योदय के बाद माना जाता है और अंग्रेज़ रात 12 बजे के बाद ही अगलेदिन गिन लेते है। ज्योतिषों का ये सुझाव सभी को बेहद पसंद आया और माना भी गया। ज्योतिषों ने नेहरु जी को ये कड़ी हिदायत भी दी कि वे रात 12 बजने से पहले ही आज़ादी का भाषण खत्म कर दे। और तब कही जाकर 15 अगस्त 1947 की रात 12 बजे भारत आज़ाद हुआ।