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सुलतानपुर : कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में लगा ताला, जालसाज गटक गए 53 लाख रुपये

यूपी के विभिन्न जिलों में स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में भोजन, स्टेशनरी और अन्य मदों में नौ करोड़ रुपये का एक बड़ा घोटाला सामने आया। जिसके बाद इस घोटाले की शासन स्तर पर जांच बैठाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया गया है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

सुलतानपुर। यूपी के विभिन्न जिलों में स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में भोजन, स्टेशनरी और अन्य मदों में नौ करोड़ रुपये का एक बड़ा घोटाला सामने आया। जिसके बाद इस घोटाले की शासन स्तर पर जांच बैठाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया गया है।

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बता दें कि कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय कोरोना काल में संक्रमण की वजह से बंद चल रहे हैं। इसमें पढ़ने वाली छात्राओं को घर भेज दिया गया है, लेकिन इसी दौरान सुलतानपुर जनपद के 12 कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों के 53 लाख रुपये खर्च कर दिए गए हैं। महकमे ने 22 लाख रुपये तो भोजन मद में ही भुगतान कर दिया है। इस मामले का जब से खुलासा हुआ है तब से अफसर बचते नजर आ रहे हैं, जबकि विभागीय सूत्रों का दावा है कि बिस्तर, स्टेशनरी व बैग, ड्रेस आदि की आपूर्ति तो हुई लेकिन खाद्यान्न एक तोला विद्यालय में नहीं पहुंचाया गया।

बता दें कि जिले में 12 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय हैं। दस में 100- 100 व दो में 50-50 छात्राएं अध्यनरत हैं। संक्रमण बढ़ा तो शासन ने सभी विद्यालय बंद कर दिए। केजीबीवी में पढ़ने वाली छात्राओं को घर भेजने के निर्देश दिए गए थे। यही वजह है कि मार्च महीने तक कोई भी छात्रा स्कूल नहीं गई। बस वार्डन व कार्यालय प्रभारी ही हर हफ्ते ड्यूटी बजाने जाते हैं।

इस बारे में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दीवान सिंह ने बताया कि वे अवकाश पर हैं। केजीबीवी के जिला प्रभारी ओमप्रकाश तिवारी का मोबाइल स्विच आफ मिला है। महकमे के लेखाधिकारी आरएस यादव ने सभी खरीदारी व भुगतान को स्वीकार किया कि 1100 छात्राओं के लिए राशन खरीदा गया और भोजन के मद में 22 लाख का भुगतान कर दिया गया। इतना ही नहीं स्टेशनरी के लिए 12 लाख रुपये व गद्दा, चद्दर, रजाई व तकिया, कबंल के लिए आठ लाख रुपये का भी भुगतान किया गया है।

ड्रेस, जूता, बैग, ट्रैकसूट जैसी कंटीजेंसी वाली वस्तुओं के लिए भी 11 लाख रुपये आपूर्तिकर्ता फर्म को दे दिया गया। सूत्रों के अनुसार बिस्तर, बैग, जूता व स्टेशनरी आदि तो विद्यालयों में फर्मों द्वारा सीधे पहुंचाए गए, जिन्हें छात्राओं को समय-समय पर बुलाकर दे दिया गया है या विद्यालय में सुरक्षित रखा गया है। उनका यह भी दावा हैं कि भोजन के लिए कोई भी सामान विद्यालय में पहुंचाया नहीं गया। हालांकि शासन में शिकायत के बाद जांच के आदेश दिए गए ह और बीएसए से पूरी रिपोर्ट तलब की गई है।

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