1. हिन्दी समाचार
  2. दिल्ली
  3. आतंकवाद और कट्टरपंथ है दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा : राजनाथ सिंह

आतंकवाद और कट्टरपंथ है दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा : राजनाथ सिंह

देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आसियान की मीटिंग में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ बैठक में हिस्सा लिया। सिंह ने कहा कि आतंकवाद और कट्टरपंथ विश्व शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के सदस्य के रूप में, भारत आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ‘आसियान डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंग-प्लस (एडीएमएम-प्लस)  की वर्चुअल  मीटिंग में आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ बैठक में हिस्सा लिया। सिंह ने कहा कि आतंकवाद और कट्टरपंथ विश्व शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। एफएटीएफ के सदस्य के रूप में, भारत आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है।

पढ़ें :- UP Lok Sabha Election 2024 : यूपी में 11 बजे तक 24.31 फीसदी वोटिंग, सीएम योगी बोले- 4 जून को बीजेपी की बहुमत के साथ बनेगी सरकार

राजनाथ सिंह ने कहा कि आपसी सहयोग से ही आतकंवादी संगठनों को और उनके नेटवर्क को बाधित किया जा सकता है। उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र किए बिना आतंकवाद को बढ़ावा देने, उसका समर्थन और वित्त पोषण करने तथा आतंकवादियों को शरण देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और कट्टरता दुनिया के सामने शांति तथा सुरक्षा के लिए आज सबसे गंभीर खतरा है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत आतंकवाद के बारे में वैश्विक चिंताएं साझा करता है।   यह मानता है कि जब आतंकवादियों के बीच गठजोड़ चिंताजनक स्थिति तक पहुंच रहा है तो केवल सामूहिक सहयोग से ही आतंकी संगठन और उनके नेटवर्कों को पूरी तरह ध्वस्त किया जा सकता है। दोषियों की पहचान की जा सकती है और उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

सिंह ने समुद्री सुरक्षा चुनौतियों पर भारत की चिंताओं को भी रेखांकित किया। साथ ही उन्होंने अहम समुद्री मार्गों में चीन के आक्रामक व्यवहार का परोक्ष जिक्र करते हुए कहा कि दक्षिण चीन सागर में गतिविधियों ने इस क्षेत्र में ध्यान आकर्षित किया। सिंह ने देशों की क्षेत्रीय अखंडता और सम्प्रभुत्ता, संवाद के जरिए विवादों के शांतिपूर्ण समाधान तथा अंतरराष्ट्रीय नियमों और कानूनों के अनुपालन के आधार पर इस क्षेत्र को मुक्त, खुला और समावेशी बनाने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि संचार के समुद्री मार्ग हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति, स्थिरता, समृद्धि और विकास के लिए अहम हैं। उन्होंने कहा कि समुद्री सुरक्षा चुनौतियां भारत के लिए चिंता का एक अन्य सबब है। इस संबंध में दक्षिण चीन सागर में गतिविधियों ने क्षेत्र में तथा इससे आगे ध्यान आकर्षित किया है। भारत इन अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों में नौवहन, समुद्री क्षेत्रों पर उड़ान भरने और बेरोकटोक व्यापार की आजादी का समर्थन करता है।

पढ़ें :- राहुल गांधी से लेकर हेमा मालिनी तक, आज दूसरे चरण में इन हाई-प्रोफाइल सीटों पर वोटिंग जारी

चीन दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा जताता है जो हाइड्रोकार्बन का बड़ा स्रोत है। वियतनाम, फिलीपीन और ब्रूनेई समेत आसियान के कई सदस्य देश भी ऐसा ही दावा जताते हैं। इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि फिलहाल सामूहिक रूप से हमारे सामने जो चुनौती है वह है- कोविड-19। रक्षा मंत्री ने कहा कि वायरस अपने रूप बदलता है और इसके नए-नए वैरिएंट सामने आते रहते हैं जिसने हमारी चिकित्सा प्रक्रिया को सीमा तक धकेल दिया है।

इस बैठक में भारत के साथ चीन, जापान और रूस के रक्षा सचिव भी मौजूद रहे। ADMM-Plus 10 आसियान सदस्य देशों और आठ संवाद भागीदारों यानी ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका को शामिल करने वाला एक महत्वपूर्ण मंच है। जो सुरक्षा को मजबूत करने के लिए और क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास के लिए रक्षा सहयोग को बढ़ाना देता है।

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...