बिहार के पूर्व डीजीपी जो हाल ही में प्रवचनकर्ता के रुप में देखे गये हैं। उनकी जुबां पर एक अनोखा सच आया है। ये बाबा बन सच कहने की लालसा हुई है या इसका कुछ और कारण है ये बात तो डीजीपी ही बता पायें। हम बात कर रहे हैं बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का। कुछ दिन पहले राजनीति से अपना मोहभंग जाहिर करने वाले गुप्तेश्वर पांडेय को अचानक ब्यूरोक्रेसी भी खराब लगने लगी है।
पटना। बिहार के पूर्व डीजीपी जो हाल ही में प्रवचनकर्ता के रुप में देखे गये हैं। उनकी जुबां पर एक अनोखा सच आया है। ये बाबा बन सच कहने की लालसा हुई है या इसका कुछ और कारण है ये बात तो डीजीपी ही बता पायें। हम बात कर रहे हैं बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का। कुछ दिन पहले राजनीति से अपना मोहभंग जाहिर करने वाले गुप्तेश्वर पांडेय को अचानक ब्यूरोक्रेसी भी खराब लगने लगी है।
इतनी खराब की कि वे अच्छे से अच्छे ब्यूरोक्रेट को भी खराब से खराब नेता से बेहतर मानने को तैयार नहीं हैं। एक वीडियो में गुप्तेश्वर पांडेय अपने इन्हीं भावों का इजहार करते नज़र आ रहे हैं। आपको बता दें कि बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पद से इस्तीफा देकर छह महीने पहले ही जद यू ज्वाइन करने वाले डीजीपी का अचानक राजनीति से मोह भंग हो गया था। कुछ दिन पहले ही वो एक प्रवचनकर्ता के रुप में दिखाई दिये थे।
बताया जाता है कि राजनीति से मोह भंग होने का प्रमुख कारण उनके पार्टी के द्वारा उनको विधानसभा का टिकट न दिया जाना रहा। उन्हें पार्टी ने चुनावी मैदान में उतारा ही नहीं। उन्होंने कहा कि ब्यूरोक्रेट गलत-सही जो भी नाजायज काम करता है वो अपने लाभ के लिए, अपना गणित, नफा-नुकसान देखकर करता है।
वहीं यदि कोई राजनीतिक व्यक्ति जिसे आप कुछ गलत करते हुए देखते हैं वो सौ गलत में से 99 गलत तो अपने लोगों के लिए करता है। एक राजनेता का दिल बहुत बड़ा होता है। ठीक है अच्छे और बुरे लोग हर जगह हैं लेकिन राजनीति करना कठिन काम है।