हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास का अपना महत्व है। हिंदू पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष मास समाप्त होने के बाद पौष के महीने की शुरुआत होती है।
Paush Month 2021-22: हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास का अपना महत्व है। हिंदू पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष मास समाप्त होने के बाद पौष के महीने की शुरुआत होती है। पौष हिंदू धर्म में एक महीने का नाम है, जिसे चंद्र हिंदू पंचांग में पौष माह कहा जाता है। पौष मास 20 दिसम्बर 2021 से प्रारंभ होकर 18 जनवरी 2022 को समाप्त हो रहा है। पौष मास में सूर्य उपासना का महत्व बताया गया है। इस प्रकार प्रत्येक मास किसी न किसी देवता के लिए विशेष माना जाता है।
हिंदू महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित होते हैं। हिंदू धर्म में महीने का परिवर्तन चंद्र चक्र पर निर्भर करता है, जिस नक्षत्र में चंद्रमा स्थित है, उस नक्षत्र के आधार पर उस महीने का नाम रखा गया है। पौष मास की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है, इसलिए इस मास को पौष मास कहा जाता है।
पौष मास में सूर्य देव की पूजा
पौराणिक ग्रंथों की मान्यता के अनुसार पौष मास में सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए। पौष मास के देवता सूर्य देव का स्वरूप माने जाते हैं। इस मास में सूर्य को अर्ध्य देने और व्रत रखने का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने में हर रविवार को व्रत और उपवास रखने और तिल चावल की खिचड़ी चढ़ाने से व्यक्ति का तेज बढ़ता है।
पौष मास 2021-22
पौष मास प्रारंभ : सोमवार, 20 दिसंबर 2021
पौष मास समाप्ति : मंगलवार, 18 जनवरी 2022
पौष मास के पर्व एवं व्रत
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत – बुधवार, 22 दिसंबर 2021
कालाष्टमी व्रत – रविवार, 26 दिसंबर 2021
सफला एकादशी – गुरुवार, 30 दिसंबर 2021
प्रदोष व्रत – शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021
मासिक शिवरात्रि – शनिवार, 01 जनवरी 2022
पौष अमावस्या – रविवार, 02 जनवरी 2022
ब्रह्म गौर व्रत – बुधवार, 05 जनवरी 2022
पुत्रदा एकादशी – गुरुवार, 13 जनवरी 2022
मकर संक्रांति – शुक्रवार, 14 जनवरी 2022
गंगा सागर स्नान – शुक्रवार, 14 जनवरी 2022
शाकंभरी देवी जयंती – सोमवार, 17 जनवरी 2022
पौष पूर्णिमा – सोमवार, 17 जनवरी 2022