जब बच्चे अपने पिता के साथ रहते है तो वे खुद को सुरक्षित महसूस करते है, जब बच्चे सुरक्षित महसूस करते हैं तो वे अपने काम और गतिविधियों पर अच्छे से ध्यान केंद्रित कर पाते है।
बच्चों की परवरिश में पिता की भूमिका भी उतनी ही होती है जितनी मां की। बच्चों के विकास में कुछ जिम्मेदारियां हैं जो पिता ही निभा सकते है। पिता का व्यवहार उनका लोगो के साथ बर्ताव बच्चों के विकास पर असर डालता है।पिता की हमेशा कोशिश रहती है कि बच्चे को शारीरिक और मानसिक रुप से अच्छा वातावरण मिले और बच्चे खुलकर अपनी परेशानियों को बता भी सकें।
इंडियन पेरेंटिंग वेबसाइट के अनुसार जब बच्चे अपने पिता के साथ रहते है तो वे खुद को सुरक्षित महसूस करते है, जब बच्चे सुरक्षित महसूस करते हैं तो वे अपने काम और गतिविधियों पर अच्छे से ध्यान केंद्रित कर पाते है।
इसलिए पिता की जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को समझाएं और महसूस कराएं कि वह उन्हें किसी भी समस्या से बचाने के लिए हमेशा पास रहेगें। पिता की जिम्मेदारी केवल उन्हें सही रास्ता दिखाना ही नहीं है पिता अपने प्यार से बच्चों का हौसला बढ़ाने में भी मदद करता है।
जब बच्चे देखते है कि उनके पिता उनकी माता के साथ कितने सम्मान और प्यार से पेश आ रहे है या फिर बड़ों का भी सम्मान करते है तो इसका काफी हद तक का असर बच्चों पर भी पड़ता है। वो भी अपने से बड़ों के साथ सम्मानपूर्वक बर्ताव करते है। न ही अपनी मां के साथ गलत तरीके से बात करतेहै।
खाली समय में बच्चों के साथ बैठे उनसे बात करें। बच्चों को अनुशासन सिखाएं।