इस गर्मी के मौसम में मध्यप्रदेश की तीस से अधिक नदियों पर सूखने का खतरा मंडरा रहा है। इसके अलावा अधिकांश शहरों में जल संकट भी होने से लोग परेशान होने लगे है।
भोपाल। इस गर्मी के मौसम में मध्यप्रदेश की तीस से अधिक नदियों पर सूखने का खतरा मंडरा रहा है। इसके अलावा अधिकांश शहरों में जल संकट भी होने से लोग परेशान होने लगे है। नदियों में जिस तरह से पानी की धार कम हो रही है यह निश्चित ही चिंताजनक माना जा सकता है।
अवैध रेत उत्खनन के कारण यह खतरा पैदा हुआ
3 लाख 8 हजार 245 वर्ग किमी क्षेत्र में बहने वालीं नर्मदा, बेतवा, सोन, ताप्ती, चंबल, सिंध, माही, पार्वती, धसान, केन, कूनो, क्षिप्रा जैसी नदियों से अत्यधिक जल दोहन और अवैध रेत उत्खनन के कारण यह खतरा पैदा हुआ है। जबकि, शहरी नदियां जमीन के लालच में अतिक्रमण का शिकार हो चुकी हैं। पारिस्थितिकी तंत्र के असंतुलन से भी नदियों का प्रवाह लगातार घट रहा है। अभी अप्रैल माह में ही सूखने का संकट है तो आने वाले दिनों में क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
लिंक परियोजनाएं भी शुरू की, लेकिन कोई खास फायदे नहीं
मप्र में बहने वाली नदियों का जल प्रवाह धीरे-धीरे कम हो रहा है। 1990 से अब तक प्रदेश की आधा दर्जन नदियों के प्रवाह में भारी कमी आई है। जबकि कुछ नदियां तो इस मौसम में सूख रही है। नदियों के संरक्षण और जल प्रवाह को निरंतर रखने के लिए सरकार ने लिंक परियोजनाएं भी शुरू की, लेकिन कोई खास फायदे नहीं हुए। महू-इंदौर से इटावा तक 843 किमी लंबी चंबल नदी की मुरैना के पास धारा कमजोर पड़ गई है। पार्वती नदी जो आष्टा सीहोर से पाली श्योपुर तक 383 किमी लंबी है कि श्योपुर के पास धारा कम हो गई है। कारी नदी बेवलपुर-शिवपुरी से अंबाह-मुरैना तक 200 किमी लंबी है इसका मुरैना में बहाव घटा है। सिंध नदी सिरोंज से जालौन तक 470 किमी क्षेत्र में बहती है इसकी धारा टूटने लगी है। बावनथड़ी नदी सिवनी से निकलती है यह भी दम तोड़ रही है। तमस नदी मैहर और सतना से निकलकर सूखने की कगार पर है। इंदौर की कान्ह नदी अब नाला बन गई है। इसका पानी शिप्रा तक नहीं पहुंचता है। नर्मदा नहीं अमरकंटक से खंभात की खाड़ी तक 1312 किमी नदी है। यह नदी रेत माफिया के शिकंजे में है। ताप्ती नदी मुलताई से खंभात की खाड़ी तक 724 किमी लंबी है और जल विद्युत परियोजनाओं पर निर्भर है। चंबल (चर्मावती) नदी जानापाव (महू) से यमुना संगम तक 965 किमी लंबी है और संरक्षित है, लेकिन संकटग्रस्त है। बेतवा (वेत्रवती) नदी रायसेन से निकलती है और यूपी-एमपी में कुल 590 किमी बहती है। माही नहीं मप्र, राजस्थान, गुजरात में 580 किमी बहकर अरब सागर में मिलती है। सोन नदी अमरकंटक से गंगा तक 724 किमी लबी है। यह अवैध उत्खनन की शिकार है। स्वर्णरेखा व मुरार जैसी ऐतिहासिक नदियां, अब केवल कागजों में हैं।