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शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए यूपी में 13 डायट बनेंगे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस,10 दिवसीय ट्रेनिंग हेतु प्रशिक्षकों का ग्रुप गुजरात रवाना

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (Union Ministry of Education) ने यूपी के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए 13 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान ( DIET) को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में विकसित करने के लिए चिन्हित किया गया है। इस पहल के अंतर्गत, डायट का विकास किया जाएगा और शिक्षकों को उनकी सेवा से पहले और उसके दौरान दिए गए प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम और पद्धति को बेहतर किया जाएगा।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ : केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (Union Ministry of Education) ने यूपी के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए 13 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान ( DIET) को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में विकसित करने के लिए चिन्हित किया गया है। इस पहल के अंतर्गत, डायट का विकास किया जाएगा और शिक्षकों को उनकी सेवा से पहले और उसके दौरान दिए गए प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम और पद्धति को बेहतर किया जाएगा।

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यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के प्रमुख डॉ. जकारी ऐडम (Dr. Zakari Adam, Chief of UNICEF Uttar Pradesh) ने कहा कि शिक्षण एक बहुत ही महत्वपूर्ण, यद्यपि, जटिल और बहुआयामी गतिविधि है जिसमें शिक्षक बच्चों के लिए प्रशिक्षक, मार्गदर्शक और परामर्शदाता की कई भूमिकाएँ निभाते हैं। विभिन्न पृष्ठभूमि के बच्चों की अलग-अलग आवयशकताएँंहोती हैं किन्तु सभी बच्चों के पास असीमित क्षमताएँ और समान अधिकार होते हैं। शिक्षकों को पर्याप्त कौशल, दक्षता और संवेदनशीलता से सुसज्जित होना चाहिए ताकि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो और प्रत्येक बच्चा अपने और समाज के विकास में योगदान देने की पूरी क्षमता विकसित कर सके।

उन्होंने कहा की यूनिसेफ (UNICEF) द्वारा उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग के साथ मिल कर डायट में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) और सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप बदलाव लाने में सहयोग प्रदान किया जा रहा है। यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के शिक्षा विशेषज्ञ ऋत्विक पात्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश में डायट के वर्तमान परिदृश्य को समझने के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से एक अध्ययन 2022 में किया गया। अध्ययन ने नवीनतम नीतियों और शोध को समावेशित करते हुए डायट के पाठ्यक्रम में बदलाव लाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। अध्ययन में लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम और डायट प्रशिक्षकों के लिए प्रशिक्षण के नए अवसरों की आवश्यकता को भी उजागर किया। इसके साथ ही इन्फ्रस्ट्रक्चर को बेहतर बनाने एवं पुस्तकालय, प्रोयोगशाला आदि के विकास की जरूरत को भी दर्शाया।

डायट में शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, यूनिसेफ द्वारा राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) और डायट के लिए दस दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के चयनित 13 डायट के प्रतिनिधि 11 दिसंबर से 22 दिसंबर तक एमएस बड़ौदा विश्वविद्यालय, गुजरात में अनुसंधान पर एक कोर्स करेंगे।

डॉ. पवन सचान, संयुक्त निदेशक एससीईआरटी ने कहा कि एससीईआरटी ने डायट को सेंटर ऑफ एक्सीलेन्स बनाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। इसके तहत कई प्रयास किए जा रहे हैं। यूनिसेफ के सहयोग से 18 प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण हेतु बड़ौदा विश्वविद्यालय गुजरात भेजा गया है ताकि वे शोध कार्य में प्रशिक्षित होकर अपने जिलों के सेंटर में उसे लागो कर सकें।

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यूनिसेफ दिल्ली के शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. बेगुर ने कहा कि इस कोर्स के माध्यम से डायट प्रशिक्षक शोध की बारीकियाँ सीखेंगे और सर्वे एवं एक्सपेरिमेंटल रिसर्च जैसे विषयों को भी जानेंगे।” उन्होंने बताया की 10 दिवसीय प्रशिक्षण के बाद, विश्वविद्यालय एक वर्ष के लिए डायट का सहयोग करेगा और प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार के लिए उनकी मदद करेगा।

चयनित 13 जिलों में लखनऊ, वाराणसी, कुशीनगर, कानपुर देहात, गोरखपुर, मोरादाबाद, मेरठ, अलीगढ़, जौनपुर, बाराबंकी, मुजफ्फरनगर, प्रयागराज और आगरा शामिल हैं। शिक्षा मंत्रालय द्वारा पहले चरण में इन चयनित जिलों को बुनियादी ढांचे के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के एजुकेशन ऑफिसर रवि राज डायल ने बताया की डायट को सेंटर औफ एक्सीलेंस में परिवर्तित करने हेतु रोडमैप बनाने के लिए, 20-22 नवंबर 2023 के दौरान लखनऊ में यूनिसेफ के सहयोग से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था। कार्यशाला के दौरान, प्रत्येक डायट से दो प्रतिभागियों ने विभिन्न सत्रों में भाग लिया और डायट के लिए कार्य योजना विकसित की।

कार्यशाला में सुझाए गए कार्य बिंदुओं में पुस्तकालय, प्रयोगशालाएं, पाठ्यक्रम संदर्भीकरण, सक्रिय शिक्षण के लिए डायट को संसाधन केंद्र के रूप में विकसित करना, प्रौद्योगिकी और डिजिटल उपकरणों का उपयोग , स्थानीय संदर्भ और आवश्यकता के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम विकसित करना एवं संचालित करना आदि शामिल हैं।

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