कार्तिक के पुनीत मास में माता तुलसी की पूजा का विशेष महत्व है।सनातन धर्म तुलसी को बहुत ही पवित्र माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता तुलसी मानव जीवन के सभी कष्टों का निवारण करतीं है।
Tulsi Vivah 2021: कार्तिक के पुनीत मास में माता तुलसी की पूजा का विशेष महत्व है।सनातन धर्म तुलसी को बहुत ही पवित्र माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता तुलसी मानव जीवन के सभी कष्टों का निवारण करतीं है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम से कराया जाता है।कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है। देवउठनी एकादशी 14 नवंबर के दिन था। लेकिन इस बार उसी दिन तुलसी विवाह नहीं किया गया। बल्कि तुलसी विवाह 15 नवंबर यानी आज के दिन किया जाएगा। क्योंकि 14 नवंबर के दिन रविवार होने के कारण तुलसी जी को छूना भी पाप माना जाता है।
ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस दिन जो भी पूरे मन से तुलसी विवाह का आयोजन करता है उसे कन्यादान के समान फल मिलता है और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
तुलसी स्तुति का मंत्र
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी विवाह सामग्री
पूजा में मूली, आंवला, बेर, शकरकंद, सिंघाड़ा, मूली, सीताफल, अमरुद और अन्य ऋतु, मंडप तैयार करने के लिए गन्ने, भगवान विष्णु की प्रतिमा, तुलसी का पौधा, चौकी, धूप, दीपक, वस्त्र, माला, फूल, सुहाग का सामान, सुहाग का प्रतीक लाल चुनरी, साड़ी, हल्दी
इस दिन तुलसी विवाह से पहले माता तुलसी का श्रृंगार करने की परंपरा है।
1. तुलसी पूजन के समय मां तुलसी को सुहाग का सामान और लाल चुनरी जरूर चढ़ाएं।2. इस दिन तुलसी के गमले में शालीग्राम को भी साथ में रखें और तिल चढ़ाएं।
3. तुलसी और शालीग्राम को देवउठनी एकादशी के दिन दूध में भीगी हल्दी का तिलक लगाएं।
4. पूजा के बाद किसी भी चीज के साथ 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा अवश्य करें।
5. पूजन के दौरान मिठाई और प्रसाद का भोग लगाना न भूलें। मुख्य आहार के साथ ग्रहण करें और आसपास प्रसाद बांटें।
6. पूजा खत्म होने के बाद शाम के समय भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें।