तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगान की राजनीति पर संकट के बादल छाने लगे है। तुर्की की छह विपक्षी पार्टियां (Six Turkish opposition parties) एकजुट हो गई हैं।
अंकारा: तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगान की राजनीति पर संकट के बादल छाने लगे है। तुर्की की छह विपक्षी पार्टियां (Six Turkish opposition parties) एकजुट हो गई हैं। राष्ट्रपति एर्दोगान के काम काज से जनता बहुत खुश नहीं है। चुनाव से पहले ओपिनियन पोल (opinion polls) के नतीजे संकेत दे रहे हैं कि सत्तारुढ़ गठबंधन के समर्थन में कमी आई है, जिससे राष्ट्रपति एर्दोगान पर दबाव बढ़ रहा है। देश में 2023 में चुनाव होने हैं।
तुर्की में एर्दोगान के खिलाफ विपक्ष एकजुट हो गया है। वहां एर्दोगान को पटकनी देने के लिए विपक्षी पार्टियां एक नए गठबंधन को बनाने पर विचार कर रहीं हैं जो अधिक व्यपक हो। विपक्षी पार्टियों की बैठक में तय किया गया कि साल के अंत तक एक सिद्धांत पर सहमति तक पहुंचने के लिए साप्ताहिक बैठकें की जाएंगी।
खबरों के अनुसार, तुर्की में विपक्षी दल ऐसा कुछ करने की कोशिश कर रहे हैं, जो पहले कभी भी नहीं हुआ है. वह पहली बार सरकार का सामना करने के लिए वे एकजुट हो रहे हैं। महंगाई, बेरोजगारी, कोरोना महामारी, जंगलों में लगी आग, बाढ़ और आर्थिक संकट से निपटने जैसे मुद्दों पर एर्दोगान सरकार की काफी आलोचना हुई है। इस कारण उनके समर्थन में भी कमी आई है।