लखीमपुर जिले (Lakhimpur District) के तिकोनिया के चर्चित प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra Teni) को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने शुक्रवार को टेनी की केस ट्रांसफर की अर्जी खारिज कर दी है।
नई दिल्ली। लखीमपुर जिले (Lakhimpur District) के तिकोनिया के चर्चित प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra Teni) को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने शुक्रवार को टेनी की केस ट्रांसफर की अर्जी खारिज कर दी है। बता दें कि अजय मिश्रा टेनी ने प्रभात गुप्ता हत्याकांड (Prabhat Gupta murder case) मामले को इलाहाबाद हाई कोर्ट की मुख्य पीठ को स्थानांतरित करने की याचिका दायर की थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस याचिका को खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई लखनऊ बेंच में चल रही है।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि प्रभात हत्याकांड की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच में ही होगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) से यह अपील खारिज होने के बाद टेनी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी, जिस पर कोर्ट ने यह फैसला दिया है।
सुनवाई 10 नवंबर तक टली
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने प्रभात गुप्ता हत्याकांड (Prabhat Gupta murder case) मामले में अजय मिश्रा टेनी को बरी करने के निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा दायर अपील पर सुनवाई सोमवार को 10 नवंबर तक के लिए टाल दी। न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रेणु अग्रवाल की पीठ ने राज्य सरकार द्वारा 2004 में दायर अपील पर यह आदेश पारित किया। पीड़ित पक्ष की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश द्वारा पहले ही सुनवाई तेज कर दी गई है।
जानें प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामला?
बता दें कि लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) के छात्रनेता रहे प्रभात गुप्ता की आठ जुलाई 2000 को लखीमपुर खीरी के तिकोनिया में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में अजय मिश्र टेनी समेत चार लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया था। लखीमपुर की एक अदालत ने 29 मार्च 2004 को टेनी को दोषमुक्त कर दिया था। इसके खिलाफ मृतक के पिता संतोष गुप्ता ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर जिला न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी।