यूपी (UP) के प्रमुख सचिव चिकत्सा शिक्षा विभाग आलोक कुमार (Principal Secretary Medical Education Department Alok Kumar) को लोकायुक्त (Lokayukta) ने क्लीन चिट दे दी है। बताते चलें कि आलोक कुमार के खिलाफ लोकायुक्त कार्यालय दो शिकायतों को लेकर जांच कर रहा था।
लखनऊ। यूपी (UP) के प्रमुख सचिव चिकत्सा शिक्षा विभाग आलोक कुमार (Principal Secretary Medical Education Department Alok Kumar) को लोकायुक्त (Lokayukta) ने क्लीन चिट दे दी है। बताते चलें कि आलोक कुमार के खिलाफ लोकायुक्त कार्यालय (Lokayukta Office) दो शिकायतों को लेकर जांच कर रहा था। बुधवार को दोनों दर्ज वाद समाप्त कर दिए गए हैं। इसके बाद अब आईएएस अफसर आलोक कुमार (IAS Alok Kumar) भ्रष्टाचार के आरोपों से बरी हो गए हैं। बता दें कि आईएएस आलोक कुमार (IAS Alok Kumar) के खिलाफ लोकायुक्त से स्वास्थ्य विभाग (Health Department) में टेंडर आदि देने में वित्तीय अनियमितता करने की शिकायत की गई थी। आईएएस आलोक कुमार (IAS Alok Kumar) को क्लीन चिट मिली।
लोकायुक्त संगठन के संयुक्त सचिव (Joint Secretary of Lokayukta Organization) राजेश कुमार (Rajesh Kumar) ने बुधवार को आदेश जारी करते हुए बताया कि लखनऊ निवासी राजेश खन्ना और मोनिका सिंह द्वारा लोकायुक्त में प्रस्तुत किए गए परिवाद को प्रश्नगत प्रकरण में जांच के बाद गुण दोष के आधार पर लोकायुक्त द्वारा परिवाद समाप्त कर दिए गए हैं। इससे पहले छह सितंबर को लोकायुक्त संगठन ने आईएएस अफसर आलोक कुमार (IAS Alok Kumar) को जांच को लेकर पूछताछ के लिए तलब किया था। लखनऊ की रहने वाली मोनिका सिंह ने लोकायुक्त संगठन में शिकायत की थी कि शाहजहांपुर में स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय (Autonomous State Medical College in Shahjahanpur) में सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम लगाने के लिए जिस कार्यदायी कंपनी फर्म मेसर्स मैक्सवेल टेक्नोलॉजी (Working Company Firm M/s Maxwell Technology) को टेंडर दिया गया था, उसे ऐसा काम का पहले से कोई भी अनुभव नहीं था।
शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा (Principal Secretary Medical Education) ने अपने व्यक्तिगत लाभ के चलते फर्म मेसर्स मैक्सवेल टेक्नोलॉजी को कार्य देने के उद्देश्य से पहले लघु उद्योग निगम (Small Industries Corporation) को कार्यदायी संस्था नामित किया, जो कार्यदायी संस्था थी ही नहीं। इसके अलावा निविदा में किए गए परिवर्तनों के लिए निगम पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके अलावा राजेश खन्ना ने भी आलोक कुमार पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए लोकायुक्त से शिकायत की थी।