आयुर्वेद विभाग (Ayurveda Department) ने दिव्य फार्मेसी (Divya Pharmacy ) की पांच दवाओं के उत्पादन पर लगी रोक को हटा लिया है। 9 नवंबर को आयुर्वेद विभाग (Ayurveda Department) के लाइसेंसिंग अधिकारी डॉ. जीसीएस जंगपांगी (Licensing Officer Dr. GCS Jungpangi) ने इस संबंध में नोटिस जारी किया था। विभाग ने बताया कि नोटिस में रोक की बात त्रुटिवश लिखी गई थी।
देहरादून। आयुर्वेद विभाग (Ayurveda Department) ने दिव्य फार्मेसी (Divya Pharmacy ) की पांच दवाओं के उत्पादन पर लगी रोक को हटा लिया है। 9 नवंबर को आयुर्वेद विभाग (Ayurveda Department) के लाइसेंसिंग अधिकारी डॉ. जीसीएस जंगपांगी (Licensing Officer Dr. GCS Jungpangi) ने इस संबंध में नोटिस जारी किया था। विभाग ने बताया कि नोटिस में रोक की बात त्रुटिवश लिखी गई थी।
केरल के एक डॉक्टर बाबू केवी की शिकायत पर आयुर्वेद विभाग के लाइसेंसिंग अधिकारी डॉ. जीसीएस जंगपांगी (Licensing Officer Dr. GCS Jungpangi) ने दिव्य फार्मेसी (Divya Pharmacy ) को नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में फर्म से एक सप्ताह में दवाओं के फॉर्मूलेशन और लेबल क्लेम को लेकर जवाब मांगा गया था। साथ ही पांच दवाओं के उत्पादन पर रोक लगाई थी। इस पर दिव्य फार्मेसी (Divya Pharmacy ) ने कड़ी आपत्ति जताई थी।
शनिवार को लाइसेंसिंग अधिकारी ने संशोधित नोटिस जारी किया। इसमें उन्होंने माना कि नोटिस में त्रुटिवश दवाओं के उत्पादन पर रोक लिखा गया। फर्म को दवाओं का उत्पादन करने की अनुमति दी जाती है। इसके अलावा मामले में फर्म को जवाब देने के लिए एक सप्ताह के बजाय 15 दिन का समय दिया गया है।
पतंजलि योगपीठ (Patanjali Yoga Peeth) के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण (General Secretary Acharya Balakrishna) ने कहा कि आयुर्वेद लाइसेंसिंग अधिकारी (Ayurveda Licensing Officer) की अयोग्यता से आयुर्वेद की ऋषि परंपरा कंलकित हो रही है। इसकी कड़ी निंदा की जाती है। पतंजलि को दुर्भावना पूर्वक बदनाम किया गया, इसे कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। पतंजलि विश्व की पहली संस्था है जिसके वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए हैं। एनएबीएच (NABH) से मान्यता प्राप्त हॉस्पिटल व लैब हैं। 500 से अधिक वैज्ञानिक सेवाएं दे रहे हैं।