उत्तराखंड के मंदिरों के रहस्य और पौराणिक कथाएं सदियों से भक्तों यहां के दर्शन करने को प्रेरित करती है।
Uttarakhand Rahu Temple : उत्तराखंड के मंदिरों के रहस्य और पौराणिक कथाएं सदियों से भक्तों यहां के दर्शन करने को प्रेरित करती है। तीर्थों की इस भूमि में देवताओं के साथ-साथ असूर भी पूजे जाते हैं। यहां के पौड़ी जिले में छाया ग्रह माने जाने वाले राहु का मंदिर है। लोग यहां अस्था से प्रेरित होकर आते है और राहु देव का दर्शन पूजन करते है।
आदि गुरु शंकराचार्य ने कराया था निर्माण
राहु मंदिर उत्तराखंड (Uttarakhand Rahu Temple) के पौड़ी जिले में ,थलीसैण ब्लॉक में कंडारस्यूं पट्टी में पैठाणी नामक गावं में स्योलीगाड़ नदी (रथवाहिनी नदी) और नवालिका (पक्षिमी नयार नदी ) के संगम पर स्थित है। छाया ग्रह माने जाने वाले राहु का शायद पूरे उत्तर भारत या भारत में यह एकलौता राहु मंदिर है। वैसे दक्षिण भारत मे भी एक मंदिर है लेकिन वहां राहु के साथ केतु की पूजा भी होती है । लोक मान्यताओं के आधार पर कहा जाता है, कि इस मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य जी ने करवाया था। जब आदि गुरु शंकराचार्य (Aadi Guru Shankaracharya) हिमालय की यात्रा पर थे ,उन्होंने पैठाणी में (rahu mandir) का निर्माण करवाया था। पैठाणी का राहु मंदिर केदारनाथ शैली में बना है।
इस मंदिर को लेकर एक मान्यता ये भी है कि इसका निर्माण पांडवों ने किया। जब पांडव स्वर्गारोहिणी यात्रा पर थे तब राहु दोष से बचने के भगवान शिव और राहु की पूजा की थी और उन्होंने इस मंदिर को स्थापित किया होगा।