बीएचयू वाराणसी में सीनियर रेजिडेंट के पद पर सेवा दे चुके डॉ. राहुल राय का मानना है कि नकरात्मक विचारों से दूर रह कर कोरोना संक्रमण से निपटने में मदद मिल सकती है। डा. राय ने कहा कि पिछले दिनों वह भी कोरोना संक्रमित हुए थे, लेकिन अब पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर पूरे मनोयोग से कोविड प्रोटोकॉल पालन करते हुए मरीजों की सेवा कर रहे हैं।
मऊ। बीएचयू वाराणसी में सीनियर रेजिडेंट के पद पर सेवा दे चुके डॉ. राहुल राय का मानना है कि नकरात्मक विचारों से दूर रह कर कोरोना संक्रमण से निपटने में मदद मिल सकती है। डा. राय ने कहा कि पिछले दिनों वह भी कोरोना संक्रमित हुए थे, लेकिन अब पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर पूरे मनोयोग से कोविड प्रोटोकॉल पालन करते हुए मरीजों की सेवा कर रहे हैं।
अपने अनुभव साझा करते हुए चिकित्सक डा. राय ने कहा कि कोरोना संक्रमण के लक्षण नजर आते ही व्यक्ति को बिना देरी किए चिकित्सकीय सलाह के मुताबिक दवाइयां लेनी शुरू कर देनी चाहिए। संक्रमण की पुष्टि के बाद परिजनों व सम्पर्क में आये लोगों की जांच भी कराते हुए अपने आसपास के लोगों को सूचना देनी चाहिए। जिससे सम्भावित सम्पर्क में आये लोग अपनी जांच व आइसोलेशन में जा सके।
उन्होंने बताया कि संक्रमण के दौरान सातवें से बारहवां दिन सबसे खतरनाक होता है। उसके पहले जांच कराकर अगर चिकित्सा शुरू कर दी जाए तो महामारी को मात देना बिल्कुल सहज हैै। डॉ राय ने कहा कि अधिकतर 15 दिनों तक संक्रमण रहता है और ये 15 दिन बेहद खास होते हैं। पहला हफ्ता आपके हाथ में यानी मरीज के हाथ में होता है। जैसे ही महामारी की शुरुआत हो तुरंत दवा की भी शुरुआत हो जानी चाहिए। साथ ही बिना देरी किए संक्रमण की पुष्टि के लिए जांच होनी चाहिए। दूसरा हफ्ता डॉक्टर के हाथ होता है यानि जब संक्रमण की पुष्टि हो जाएगी तो तत्काल डॉक्टर इलाज शुरू कर देंगे और आसानी से मरीज ठीक हो जाते हैं। अगर ये दोनों सप्ताह लापरवाही बरती जाए तो तीसरा सप्ताह घातक हो सकता है इसलिए संक्रमित व्यक्ति को चाहिए कि बिना देरी किए डॉक्टर की सलाह से इलाज शुरू करें।
उन्होंने बताया कि संक्रमण काल में नकारात्मकता सबसे अधिक घातक होती है। इससे आत्मविश्वास टूटने लगता है और महामारी को मात देना असंभव हो जाता है। जब वह इसकी चपेट में थे तब खुद को नकारात्मक चीजों से दूर रखा था। उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि आजकल अधिकतर मीडिया रिपोर्टिंग ऐसी हो रही है जो समाज में दहशत पैदा करती हैं। संक्रमित लोगों को खुद को समाचार चैनलों से दूर रखना समझदारी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना महामारी को लेकर डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह लाइलाज नहीं है। घर पर रहते हुए इसकी बेहतर चिकित्सा हो सकती है।
चिकित्सक ने कहा कि अस्पताल की तुलना में घर पर इलाज अधिक कारगर होता है। हालांकि उन्होंने यह भी सलाह दी कि अगर ऑक्सीजन लेवल लगातार गिरने लगे तो बिना देरी किए पीड़ित को अस्पताल में भर्ती करना चाहिए। जब इस महामारी की चपेट में आएं तो डॉक्टरों की सलाह के मुताबिक दवा लेते रहे। मास्क, शारीरिक दूरी जीवन का हिस्सा बनाते हुए दिन में दो-तीन बार गर्म पानी का भाप लेते रहे। जिससे संक्रमण को कम करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा सांस लेने में जब भी तकलीफ हो अथवा दम फूलने लगे तब पेट के बल लेट जायें। ताकि ऑक्सीजन लेवल बरकरार रहे। समय से आइसोलेशन, चिकित्सक की सलाह, इलाज, कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए निश्चित तौर इस महामारी को मात देकर सामान्य दिनचर्या में लौट सकते हैं।