निदेशक प्रो० (डॉ०) सोनिया नित्यानंद के अथक प्रयास एवं कल्पना का परिणाम है। यह प्रकल्प NHM व उ०प्र० सरकार द्वारा अनुमन्य किया जा चुका है। इसका निर्माण शहीद स्थित आर0पी0जी0 मातृ एवं शिशु रेफरल सेंटर में किया जायेगा। जिससे मातृ मृत्यु दर कम करने में सहायता मिलेगी एंव उत्तर प्रदेश के प्रशुताओं को एक ही छत के नीचे सभी प्रकार के इलाज मिल सकेंगें, उन्हे दर-दर इलाज के लिए भटकना नहीं पडेगा।
लखनऊ। डॉ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के एनेस्थीसियोलॉजी, क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग एवं आईएससीसीएम लखनऊ सिटी ब्रान्च ने संयुक्त रूप से उत्तर प्रदेश की पहली Obstetrics Critical Care कार्यशाला एवं सतत् चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ संस्थान की निदेशक प्रो0 सोनिया नित्यानंद एवं पूर्व निदेशक एवं विभागाध्यक्ष प्रो0 दीपक मालवीय द्वारा किया गया। संस्थान की निदेशक प्रो0 सोनिया नित्यानन्द ने बताया कि उत्तर प्रदेश में मातृ मृत्यु दर देश में सर्वाधिक है।
इसके लिए 100 नए क्रिटिकल केयर बेडस् की स्थापना का एक संपूर्ण प्रकल्प, जिससे मात्र एवं शिशु रेफरल चिकित्सालय के माध्यम से प्रदेश की जनता को एक महत्वपूर्ण संबल मिलेगा, संस्थान की निदेशक प्रो० (डॉ०) सोनिया नित्यानंद के अथक प्रयास एवं कल्पना का परिणाम है। यह प्रकल्प NHM व उ०प्र० सरकार द्वारा अनुमन्य किया जा चुका है। इसका निर्माण शहीद स्थित आर0पी0जी0 मातृ एवं शिशु रेफरल सेंटर में किया जायेगा। जिससे मातृ मृत्यु दर कम करने में सहायता मिलेगी एंव उत्तर प्रदेश के प्रशुताओं को एक ही छत के नीचे सभी प्रकार के इलाज मिल सकेंगें, उन्हे दर-दर इलाज के लिए भटकना नहीं पडेगा।
प्रो0 दीपक मालवीय ने मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए सभी जरूरी प्रोटोकॉल का पालन करने के संबंध में सभी को अवगत कराया। प्रो0 दीपक मालवीय ने बताया कि जब वह एनेस्थीसिया सोसाइटी के शार्क देशों के अध्यक्ष थे तभी से उनका उद्देश्य था कि मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए उचित कदम उठाये जाये। इसके लिए उन्होने अपने कार्यकाल में शार्क देशों में कई कार्यशाला एवं सतत् चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन भी कराया था। जिसका परिणाम है कि आज नेपाल जैसे देशों में जहा पहाड़ो पर इलाज मिलना मुश्किल होता था वहां भी मातृ मृत्यु दर को कम करने में सफलता मिली है।
इस कार्यशाला एवं सतत् चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम में लखनऊ ही नहीं अपितु उत्तर प्रदेश के कई शहरों से लगभग 60 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला एवं सतत् चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से आये वरिष्ठ चिकित्सकों ने प्रशुताओं को प्रशव के समय होने वाली जटिलताओं के संबंध में जानकारी दी। इसके अलाव प्रशुताओं को गर्भवास्था के समय होने वाली परेशानियों जैसे स्क्त स्त्राव होना, झटके आना सहित कई अन्य तरह की गंभीर समस्याओं के विषय में बताया गया एवं उन्हें कैसे नियंत्रित करना है के संबंध में जानकारी दी गयी।
कार्यशाला में मैनिकिन पर प्रदर्शन कर सभी प्रतिभागियों को प्रशुताओं को प्रशव के समय होने वाली जटिलताओं को कैसे सही समय पर एवं सही इलाज एवं कार्य-पद्वति से सही किया जा सके उसका प्रदर्शन किया गया। आयोजन अध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष एनेस्थीसियोलॉजी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन डॉ0 पी0के0 दास ने कार्यक्रम में सभी उपस्थित अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए Obstetrics Critical Care से प्रसुताओं को होने वाले लाभ के बारे में बताया।
आयोजन सचिव डॉ0 सुजीत राय, ने बताया कि मातृ कल्याण भविष्य की पीढ़ियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। माताओं को पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच है या नहीं इसका पूरे समुदाय पर पर्याप्त प्रभाव पड़ता है। कार्यक्रम में डॉ0 ममता हरजाई, डॉ0 अनुराग अग्रवाल, डॉ0 मनोज त्रिपाठी, डॉ0 मनोज गिरी, डॉ0 एस0एस0 नाथ, डॉ0 सूरज कुमार, डॉ0 शिल्पी मिश्रा, डॉ0 स्मृति अग्रवाल, डॉ0 नीतू सिंह, डॉ0 कृति नागर, डॉ0 प्राची सिंह, डॉ0 स्मारिका मिश्रा समेत अन्य संकाय सदस्य, सीनियर, जूनियर रेजीडेंट एवं लखनऊ एवं अन्य जनपदों से आये चिकित्सक उपस्थित रहे।