एलोपैथी इलाज पर टिप्पणी करने वाले योगगुरू बाबा रामदेव की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ. जयेश लेले ने रामदेव के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। ये शिकायत दिल्ली के आईपी एस्टेट थाने में दर्ज कराई गई है। शिकायत में कहा गया है कि रामदेव कोरोना के इलाज को लेकर भ्रम फैला रहे हैं, जो एक अपराध है।
नई दिल्ली। एलोपैथी इलाज पर टिप्पणी करने वाले योगगुरू बाबा रामदेव की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ. जयेश लेले ने रामदेव के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। ये शिकायत दिल्ली के आईपी एस्टेट थाने में दर्ज कराई गई है। शिकायत में कहा गया है कि रामदेव कोरोना के इलाज को लेकर भ्रम फैला रहे हैं, जो एक अपराध है।
रामदेव पर दर्ज हो राजद्रोह का केस
इससे पहले आईएमए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि कोरोना के उपचार के लिए सरकार के प्रोटोकॉल को चुनौती देने और टीकाकरण पर कथित दुष्प्रचार वाला अभियान चलाने के लिए योगगुरु रामदेव पर तत्काल राजद्रोह के आरोपों के तहत मामला दर्ज होना चाहिए। आईएमए ने रामदेव को मानहानि का नोटिस भी भेजा है। संघ ने उनसे 15 दिन के अंदर माफी मांगने को कहा है और ऐसा नहीं होने पर वह उनसे एक हजार करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति राशि मांगेगा।
डर फैलाने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई करें
आईएमए ने मोदी को लिखे पत्र में कहा कि यह बड़ी संतोषजनक बात है कि देश में टीकों की दोनों खुराक ले चुके केवल 0.06 प्रतिशत लोगों को कोरोना वायरस का ‘मामूली’ संक्रमण हुआ और टीका लगवा चुके लोगों को फेफड़ों में अत्यंत गंभीर संक्रमण होने के मामले ‘बहुत दुर्लभ’ रहे।
संगठन ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि हम आपसे अपील करते हैं कि अपने कंपनी के उत्पादों के निहित स्वार्थ के चलते टीकाकरण पर डर का संदेश फैलाने वाले और भारत सरकार के उपचार प्रोटोकॉलों को चुनौती देने वाले लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई करें। हमारे विचार से यह स्पष्ट रूप से राजद्रोह का मामला है और ऐसे लोगों पर बिना किसी देरी के राजद्रोह के आरोपों में फौरन मुकदमा दर्ज होना चाहिए।
बाबा रामदेव ने क्या दावा किया था?
रामदेव ने वायरल हुए वीडियो में जारी अपने बयान को रविवार को वापस ले लिया था। इसमें उन्हें कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल कुछ दवाओं पर सवाल उठाते हुए और यह कहते सुना जा सकता है कि कोविड-19 के इलाज में एलोपैथिक दवाएं लेने की वजह से लाखों लोग मर गए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी रामदेव से इस ‘अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण’ बयान को वापस लेने को कहा था।