नई दिल्ली: आईएएनएस सी-वोटर बजट इंस्टा-पोल के अनुसार, लगभग 56 फीसदी लोगों का मानना है कि सोमवार को संसद में पेश किया गया केंद्रीय बजट उनके मासिक खर्च को बढ़ा देगा। इससे इतर केवल 16.1 प्रतिशत लोगों का यह मानना है कि इस बजट में जो प्रावधान किए गए हैं उसके परिणामस्वरूप उनके हाथों में अधिक पैसे बचेंगे।
गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को संसद में बजट की प्रस्तुति के बाद किए गए सर्वेक्षण में लगभग हर वर्ग से 1,200 लोगों को शामिल किया गया था। सर्वेक्षणकर्ता ने तीन मापदंडों के माध्यम से प्रतिक्रियाओं का अनुमान लगाया – क्या बजट उनके खचरें को बढ़ाएगा, उन्हें अधिक बचत करने की अनुमति देगा या कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसके बाद इस सर्वेक्षण से मिलीं प्रतिक्रियाओं का मिलान 2013 के बाद से एकत्र किए गए प्रतिशत से किया गया।
सर्वेक्षण के अनुसार, पिछले साल 47.3 प्रतिशत की तुलना में इस वर्ष 56.4 प्रतिशत लोगों को उम्मीद है कि बजट उनके खचरें को बढ़ा देगा। इस तरह का अनुमान 2019 में 39.7 प्रतिशत, 2018 में 64.4 प्रतिशत, 2017 में 54.3 प्रतिशत, 62.2 प्रतिशत 2016 में, 2015 में 64.4 प्रतिशत, 2014 में 72.9 प्रतिशत और 2013 में 81.2 प्रतिशत लोगों ने व्यक्त किया था।
बहरहाल, यह तुलनात्मक अध्ययन यह दर्शाता है कि अधिकांश लोगों का यह मानना था कि 2014 में राजग के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के सत्ता में आने से एक वर्ष पहले उनका खर्च बढ़ जाएगा। लेकिन ऐसा मानने वाले लोगों का प्रतिशत अब लगभग 25 प्रतिशत कम हो गया है, जो सरकार के लिए एक राहत की बात है। इसके अलावा, 16.1 प्रतिशत लोगों का मानना है कि बजट में की गई घोषणाएं उन्हें अधिक बचत करने में मददगार होंगी। भाजपा सरकार के सत्ता में आने से एक साल पहले ऐसा मानने वाले लोगों का प्रतिशत 10.8 प्रतिशत था। लगभग 16.9 प्रतिशत लोगों का मानना है कि बजट से उनके खचरें पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि सीतारमण ने बजट में स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर विशेष बल दिया है, लेकिन मध्यम वर्ग के लिए कोई बड़ी राहत नहीं थी क्योंकि इस साल आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ।