यूपी की राजधानी लखनऊ के पास स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) मलिहाबाद में स्वास्थ्य विभाग (Health Department) का एक शर्मनाक कारनामा उजागर हुआ है, जहां नसबंदी कराने वाली एक महिला ने लगभग 8 महीने बाद स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है। यह मामला स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की लापरवाही और डॉक्टरों की घोर असंवेदनशीलता को उजागर करता है।
लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ के पास स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) मलिहाबाद में स्वास्थ्य विभाग (Health Department) का एक शर्मनाक कारनामा उजागर हुआ है, जहां नसबंदी कराने वाली एक महिला ने लगभग 8 महीने बाद स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है। यह मामला स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की लापरवाही और डॉक्टरों की घोर असंवेदनशीलता को उजागर करता है।
बता दें कि 19 जुलाई 2024 को एक महिला ने मलिहाबाद के सीएचसी में नसबंदी (ट्यूबेक्टॉमी) कराई थी। डॉक्टरों ने कागजों पर नसबंदी पूरी होने का प्रमाण पत्र जारी (Fake Sterilization Certificate) कर दिया। नसबंदी के लगभग 8 महीने बाद (सितंबर 2025 के आसपास) महिला ने सामान्य प्रसव से एक बच्चे को जन्म दिया। यह साबित करता है कि नसबंदी वास्तव में नहीं हुई थी। यह सिर्फ कागजी कार्रवाई थी।
नसबंदी करने वाली महिला डॉक्टर मोनिका अग्रवाल (Dr. Monica Agarwal) की बड़ी लापरवाही सामने आई है। आरोप है कि प्रक्रिया बिना किए ही रिकॉर्ड में इसे दर्ज कर लिया गया। महिला ने तहसील दिवस (Tehsil Day) के दौरान इसकी शिकायत दर्ज कराई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
बता दें कि यह घटना न केवल मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ है, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं (Family Planning Program) पर भी सवाल खड़े करती है। ऐसी लापरवाही से महिलाओं का भरोसा टूटता है और परिवार नियोजन अभियान प्रभावित होता है। स्वास्थ्य विभाग (Health Department) को तुरंत जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए।