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Jamui Train Accident: 3 मिनटों का फासला और टल गई महा-तबाही, बाल-बाल बचे यात्री

सिमुलतला और लहाबन के बीच बीती रात जो हुआ, वह किसी संयोग से कम नहीं, बल्कि साक्षात ईश्वर का चमत्कार है। अगर घड़ियों की सुई में महज कुछ सेकेंड का भी फेरबदल होता, तो आज भारतीय रेल के इतिहास में एक और काला अध्याय जुड़ जाता। 15050 गोरखपुर-कोलकाता पूर्वांचल एक्सप्रेस में सवार हजारों यात्री मौत की मुँह से वापस आ गए हैं।

By Aakansha Upadhyay 
Updated Date

सिमुलतला और लहाबन के बीच बीती रात जो हुआ, वह किसी संयोग से कम नहीं, बल्कि साक्षात ईश्वर का चमत्कार है। अगर घड़ियों की सुई में महज कुछ सेकेंड का भी फेरबदल होता, तो आज भारतीय रेल के इतिहास में एक और काला अध्याय जुड़ जाता। 15050 गोरखपुर-कोलकाता पूर्वांचल एक्सप्रेस में सवार हजारों यात्री मौत की मुँह से वापस आ गए हैं।

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रोंगटे खड़े कर देने वाला मंजर…

घटनास्थल का दृश्य स्थिति देखकर हर किसी की रूह काँप जाए। सीतामढ़ी जा रही सीमेंट से लदी मालगाड़ी (अप लाइन) जिस वीभत्स तरीके से पटरी से उतरी, उसने तबाही की नई परिभाषा लिख दी।मालगाड़ी के बेकाबू डब्बे अपनी पटरी तोड़कर डाउन लाइन पर जा गिरे—वहीं डाउन लाइन, जिस पर से महज कुछ ही पल पहले यात्रियों से खचाखच भरी पूर्वांचल एक्सप्रेस गुजरी थी।

दृश्य इतना भयावह है कि सीमेंट से लदी बोगियां लोहे की पटरियों को चीरते हुए दूसरी तरफ जा गिरीं। अगर उस वक्त Purvanchal Express वहां होती, तो टक्कर इतनी भीषण होती कि लोहे के पुर्जे और इंसानी जिस्मों का फर्क मिट जाता। मौत और जिंदगी के बीच सिर्फ कुछ मिनटों’ का फासला।रेलवे के आंकड़ों ने इस घटना की भयावहता को और गहरा दिया है। रात्रि 11:01 बजे 15050 गोरखपुर-कोलकाता पूर्वांचल एक्सप्रेस सिमुलतला स्टेशन से डाउन लाइन पर गुजरती है। रात्रि 11:02 बजे, सीमेंट लदी मालगाड़ी लहाबन स्टेशन से अप लाइन पर गुजरती है।

महज कुछ ही मिनटों के बाद, सिमुलतला से साढ़े तीन किलोमीटर और लहाबन से करीब साढ़े पांच किलोमीटर की दूरी पर मालगाड़ी बेपटरी हो गई। उसके डब्बे डाउन लाइन को पूरी तरह बाधित कर चुके थे।सोचिए, अगर पूर्वांचल एक्सप्रेस थोड़ी भी लेट होती या मालगाड़ी थोड़ी पहले वहां पहुंचती, तो हजारों यात्रियों की जिंदगी ख़त्म हो जाती।

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एक बड़ी तबाही का संकेत…

जिस तरह से मालगाड़ी के भारी-भरकम डब्बे डाउन ट्रैक पर बिखरे पड़े हैं, उससे साफ है कि यह दुर्घटना एक बड़ी त्रासदी को निमंत्रण दे रही थी। सिमुलतला और लहाबन के बीच की 9 किलोमीटर की दूरी बीती रात ‘मौत के गलियारे’ में बदल गई थी। इसे ईश्वर की असीम कृपा ही कहा जाएगा कि जब पटरियों पर हादसा हुआ, तब तक पूर्वांचल एक्सप्रेस सुरक्षित निकल चुकी थी। वरना आज सुबह का सूरज हजारों परिवारों के लिए कभी न मिटने वाला अंधेरा लेकर आता।

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