पॉपुलेशन रिसर्च सेंटर,अर्थशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा रविवार को एक वेबिनार का आयोजन किया गया। जूम के माध्यम से आयोजित इस वेबिनार का शीर्षक था -"Population Scenario in Uttar Pradesh"। इस अवसर पर विशिष्ट वक्ता के रूप में एसजीपीजीआई के बायोस्टेटिस्टिक्स के रिटायर्ड प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष, प्रो. सीएम पाण्डेय उपस्थित थे।
लखनऊ। पॉपुलेशन रिसर्च सेंटर,अर्थशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा रविवार को एक वेबिनार का आयोजन किया गया। जूम के माध्यम से आयोजित इस वेबिनार का शीर्षक था -“Population Scenario in Uttar Pradesh”। इस अवसर पर विशिष्ट वक्ता के रूप में एसजीपीजीआई के बायोस्टेटिस्टिक्स के रिटायर्ड प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष, प्रो. सीएम पाण्डेय उपस्थित थे।
इस वेबिनार में अन्य गणमान्य अथितियों में पॉपुलेशन रिसर्च सेंटर, इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमी ग्रोथ , नई दिल्ली के अध्यक्ष व निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सांख्यिकी विभाग के सह निदेशक डीके ओझा एवं पॉपुलेशन रिसर्च सेंटर, लखनऊ के अध्यक्ष व निदेशक प्रो. एमके अग्रवाल उपस्थित रहे।
इस वेबिनार में डीके ओझा ने यूपी में पिछले एक दशक होने वाले जनसांख्यिकी परिवर्तनों व सुधारों पर वृहद चर्चा की गई। उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण एवं स्वास्थ्य कल्याण के महत्वपूर्ण कारकों पर प्रकाश डाला। उत्तर प्रदेश भारत के सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है जहां 65 प्रतिशत से ज्यादा आबादी ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है। ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं के शिक्षा व स्वास्थ्य के प्रति कम जागरूकता, कम उम्र में विवाह, गरीबी, रोजगार में कमी एवं जनसंख्या नियंत्रण के संसाधनों के विषय में जानकारी के अभाव आदि के कारण जनसंख्या वृद्धि तेजी से बढ़ती रही है।
हालांकि पिछले एक दशक में सरकार व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से ग्रामीण जनसंख्या को जनसंख्या नियंत्रण के तरीके व फायदे के बारे में लगातार जागरूक किया जा रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। ग्रामीण महिलाओं की कम उम्र में विवाह का प्रतिशत कम हुआ है साथ ही उनके स्वास्थ्य में भी सुधार देखने को मिल रहा है।
श्री ओझा ने जनसंख्या नियंत्रण में महिलाओं की भूमिका पर प्रमुख जोर दिया। उन्होंने बताया कि यदि महिलाओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया जाए एवं लिंग-असमानता, महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया जाए। साथ ही विवाह की न्यूनतम आयु-सीमा बढ़ाई जाए तो जनसंख्या दर को प्रभावी तरीके से नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। प्रो. एमके अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश में होने वाले विकास पर चर्चा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि विकास के अनुरूप ही जनसंख्या नियंत्रण की रूप-रेखा तय की जानी चाहिए। इसके साथ ही इस वेबिनार में जनसंख्या व कोरोना टीकाकरण पर भी चर्चा की गई।