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Khatushyam janamotsav: आखिर कब है खाटू श्याम का जन्मोत्सव, आप भी हो रहे हैं कन्फ्यूज तो जानें सही दिन

खाटू श्याम जी के जन्मदिन पर उनको कई तरह के भोग लगाया जाता है। खाटू श्याम मंदिर को फूलों और रंग बिरंगी लाइटों से दुल्हन की तरह सजाया जाता है।

By प्रिन्सी साहू 
Updated Date

Khatushyam janamotsav:  हर साल भगवान खाटू श्याम का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल कई लोग कन्फ्यूज हो रहे हैं कि आखिर खाटू श्याम जी का जन्मदिन मनाने की सही तारीख कब है। तो चलिए फिर आज हम आपकी इस कन्फ्यूजन को दूर करते है। खाटू श्याम जी का जन्मोत्सव कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन को देव उठावनी एकादशी होती है।

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इस साल 23 नवंबर 2023 को कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पड़ेगी। इस दिन तुलसी विवाह भी मनाया जाएगा। खाटू श्याम जी के जन्मदिन पर उनको कई तरह के भोग लगाया जाता है। खाटू श्याम मंदिर को फूलों और रंग बिरंगी लाइटों से दुल्हन की तरह सजाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि खाटू श्याम जी के जन्मोत्सव के मौके पर जो भक्त उनके मंदिर जाता है उनकी पूजा अराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

खाटूश्याम जी की अपार शक्ति और क्षमता देकर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें कलयुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था। बर्बरीक अपनी शक्ति और क्षमता से हर किसी पर भारी पड़ जाता था। महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बारिक ने भी हिस्सा लेने के लिए श्री कृष्ण से कहा।

उन्होंने श्री कृष्ण से पूछा कि वह किसकी तरफ से लड़े तो श्री कृष्ण ने कहा कि जो पक्ष हारेगा वह उनकी तरफ से लड़ेंगे। लेकिन श्री कृष्ण युद्ध परिणाम जानते थे। ऐसे में श्री कृष्ण ने बर्बरीक को रोकने के लिए उनके दान की मांग और दान में उनका सिर मांग लिया। बर्बरीक ने जरा भी समय गवाए अपना सिर दान में दे दिया था।

लेकिन बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण से प्रार्थना की कि वो पूरा महाभारत का युद्ध देखना चाहते हैं। ऐसे में श्रीकृष्ण ने उनके शीश को एक ऊंची पहाड़ी पर रख दिया जहां से पूरा युद्ध देख पाए।

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जब पांडव जीत गए तो सब आपस में लड़ने लगे कि आखिर जीत का श्रेय किसे जाए। ऐसे में बर्बरीक ने कहा कि जीत का श्रेय श्रीकृष्ण को जाना चाहिए। बर्बरीक की ये बात सुनकर श्रीकृष्ण काफी खुश हुए और उन्हें कलयुग में खाटू श्याम जी के नाम से पूजे जाने का वरदान दे दिया।

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