मुंबई: पोस्टमार्डम एक तरह की शल्य क्रिया होती है, जिसमें म्रत शव का परीक्षण कर मौत के सही कारणों का पता लगाया जाता है.किसी भी म्रत व्यक्ति का पोस्टमार्टम करने से पहले उसके सगे सम्बन्धियों की सहमति प्राप्त करना आवश्यक होता है.
व्यक्ति की मौत के 6 से 10 घंटे के भीतर ही उसका पोस्टमार्टम किया जाता है. अधिक समय होने के बाद शव में कई तरह के प्राकृतिक परिवर्तन हो जाने की आशंका होती हैं, इसलिए जल्दी उसका पोस्टमार्टम किया जाता है. क्या आप जानते है, की डॉक्टर रात के समय पोस्टमार्टम क्यो नहीं करते हैं. डॉक्टरों के द्वारा रात में पोस्टमार्टम न करने की वजह रोशनी होती है.
रात के समय एलईडी या ट्यूबलाइट की कृतिम रौशनी में चोट का रंग लाल की जगह बैगनी दिखाई देता है. फोरेंसिक साइंस में कभी भी बैगनी चोट होने का उल्लेख नहीं किया गया है, जबकि कुछ धर्मों में रात को अंत्येष्टि नहीं होती.
रात में पोस्टमार्टम न करने के पीछे एक कारण ये भी हैं की प्राकृतिक या कृत्रिम रोशनी में चोट का रंग अलग दिखने की वजह से पोस्टमार्टम रिपोर्ट को कोर्ट द्वारा चेतावनी भी दी जा सकती है.