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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाएं को किया खारिज, सरकार से मांगा जवाब

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी धर्मांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली सभी याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अध्यादेश के कानून बन जाने के आधार पर याचिकाएं खारिज की है। अध्यादेश के एक्ट बन जाने के बाद अध्यादेश को चुनौती देने का कोई औचित्य नहीं बनता है। कोर्ट ने धर्मांतरण कानून पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी धर्मांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली सभी याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अध्यादेश के कानून बन जाने के आधार पर याचिकाएं खारिज की है। अध्यादेश के एक्ट बन जाने के बाद अध्यादेश को चुनौती देने का कोई औचित्य नहीं बनता है। कोर्ट ने धर्मांतरण कानून पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

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बता दें कि धर्मांतरण अध्यादेश को चार अलग-अलग याचिकाओं में चुनौती दी गई थी। अब यह कानून बन चुका है तो जस्टिस एम एन भंडारी और जस्टिस अजय त्यागी की खंडपीठ ने याचिकाओं को खारिज कर दिया है। साथ ही सरकार से धर्मांतरण कानून पर दाखिल याचिकाओं पर जवाब मांग लिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 2 अगस्त को होगी।

बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में धर्म परिवर्तन विधेयक पास हो गया है। इस कानून के मुताबिक, अगर आपने किसी के साथ जबरन धर्म परिवर्तन किया या करवाया तो इस विधेयक के मुताबिक 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा इस जुर्म में आपको 50 हजार रुपयों का जुर्माना भी देना होगा।

इस कानून के मुताबिक, अगर आप किसी का धर्म परिवर्तन कर रहे हो या फिर करवा रहे हो तो इसके लिए आपको पहले से आवेदन करना होगा। साथ ही जिलाधिकारी को इसके बारे में सूचित कर उनसे इसकी अनुमति लेनी होगी।

अगर आपने सरकार द्वारा जारी की गई इन गाइडलाइंस को फॉलो नहीं किया तो फिर आप को जबरन धर्म परिवर्तन का दोषी पाया जाएगा। अगर आप ने ऐसा नहीं किया तो 10 साल तक कैद की सजा हो सकती है। इसके साथ आप पर 50 हजार रुपयों का जुर्माना भी किया जा सकता है।

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