बीते दिनों खूब सुर्खियों में रहे सारस और आरिफ की दोस्ती के किस्सों को कोई भूल नहीं सकता है। अमेठी में रहने वाले आरिफ का सारस अब कानपुर जू में रहता है।
बीते दिनों खूब सुर्खियों में रहे सारस और आरिफ की दोस्ती के किस्सों को कोई भूल नहीं सकता है। अमेठी में रहने वाले आरिफ का सारस अब कानपुर जू में रहता है। जू में सारस की आरिफ (Arif and Saras) के हाथों से मैगी खाने की आदतों को सुधारा जा रहा है।
सारस को खाने में मैगी बहुत पसंद है इतना ही नहीं आरिफ के हाथों से मैगी खाने की आदत हो गई थी जो अब धीरे धीरे छूट रही है। सारस की धीरे-धीरे आदतें बदली जा रही है। उसे पक्षी बनने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
मीडिया खबर के अनुसार कानपुर चिड़ियाघर के निदेशक कृष्णा कुमार सिंह ने बताया कि इस सर्वाहारी पक्षी की आदतें बदल गई थी। वह खाने में दाल-चावल और मैगी ही खाता था। अब उसकी आदत बदली जा रही है। चिड़ियाघर के एक कोने में वह अकेले रह रहा है। इंसानों से संपर्क से दूर हो चुके सारस को बाड़े में लगे सीसीटीवी कैमरों की मदद से मॉनिटर किया जाता है।
अब सारस को सुपरवर्म कीड़े के साथ ही धान, दाल, धनिया, पालक को खिलाया जा रहा है। इसके साथ ही अब सारस की आदत हाथ से खाने की पड़ गई थी। इतना ही नहीं न ही सारस जमीन पर पड़ी चीजों को खाता था।
अब वह जमीन पर पड़ी हुई चीजों को खाने लगा है। सारस अमेठी के आरिफ के साथ करीब एक साल तक रहा। उसी के साथ इंसानी खाना खाना और रहना सीख गया था। पशु चिकित्सक डॉक्टर अनुराग सिंह ने बताया कि सबसे बड़ा चैलेंज सारस को इंसानों वाले माहौल से अलग करना था।
लंबे समय तक इंसानों के साथ रहते हुए वह अपनी प्राकृतिक आदतें भूल गया। इंसानों के साथ वह बहुत आरामतलब हो गया था। लोगों को देखते ही वह उनके पास जाना चाहता था। हम धीरे-धीरे सारस को ट्रेन कर उसके प्राकृतिक माहौल में ढाल रहे हैं।