आसाराम (Asaram) को आखिर जमानत मिल ही गई। आसाराम अपनी ही गुरुकुल की छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप में जिंदगी की आखिरी सांस तक जेल की सजा काट रहा है । बता दें कि यौन उत्पीड़न के आरोप में आसाराम को साल 2013 में अरेस्ट किया गया था।
Asaram got bail : आसाराम (Asaram) को आखिर जमानत मिल ही गई। आसाराम अपनी ही गुरुकुल की छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप में जिंदगी की आखिरी सांस तक जेल की सजा काट रहा है । बता दें कि यौन उत्पीड़न के आरोप में आसाराम को साल 2013 में अरेस्ट किया गया था। तब से लेकर अब तक आसाराम ने जोधपुर हाई कोर्ट (Jodhpur High Court) से लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक, ना जाने कितनी जमानत याचिका पेश की, लेकिन कहीं भी राहत नहीं मिली। आखिर आसाराम की जमानत अर्जी को हाईकोर्ट जस्टिस कुलदीप माथुर (High Court Justice Kuldeep Mathur) की कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
जमानत लेने और जेल की सलाखों से बाहर आने के लिए आसाराम ने इन 10 सालों में न जाने कितने प्रयास किए, लेकिन हर बार आसाराम को असफलता हाथ लगी और आसाराम की आशाओं पर हर कोर्ट के आदेश में पानी फेरा। हालांकि, जिस मामले में जमानत स्वीकार की गई है, वह यौन उत्पीड़न का नहीं, बल्कि आसाराम से जुड़ा दूसरा मामला है। आसाराम को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पैरोकार की तरफ से झूठे दस्तावेज पेश करने के मामले में जमानत मिली है।
सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम के खिलाफ केस दर्ज करने के दिए थे आदेश
जमानत की जद्दोजहद के बीच आसाराम की ओर से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में रवि राय वगे नामक व्यक्ति ने पैरोकार के रुप में जमानत याचिका पेश की थी, जिसमें आसाराम के खराब तबीयत को आधार बनाया गया व सबूत के तौर पर जोधपुर सेंट्रल जेल (Jodhpur Central Jail) की डिस्पेंसरी के प्रमाण पत्र पेश किए गए, जिसमें बताया गया कि आसाराम असाध्य बीमारी से ग्रसित है और उन्हें उपचार की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान जब यह बात सामने आई कि यह प्रमाणपत्र झूठा है, तब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लेते हुए कोर्ट को गुमराह करने और झूठे साक्ष्य पेश करने के मामले में एफआईआर दर्ज कर अनुसंधान करने के आदेश किए।
रातानाडा थाने में दर्ज हुई एफआईआर
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट (Jodhpur Police Commissionerate) के रातानाडा थाने में इस मामले को लेकर एक एफआईआर दर्ज की गई। इस मामले की सुनवाई एडीजे कोर्ट (ADJ Court) में लंबित है। आसाराम ने कोर्ट में हलफनामा देकर यह बताया कि उन्होंने कभी भी रवि राय नामक व्यक्ति से ना तो फोन पर बात की और ना ही उन्हें कभी पैरोकार नियुक्त किया था, लेकिन आसाराम को एडीजे कोर्ट (ADJ Court) ने राहत नहीं दी।
हाईकोर्ट से मिली आंशिक राहत
आसाराम की ओर से अधिवक्ता नीलकमल बोहरा व गोकुलेश बोहरा ने राजस्थान उच्च न्यायालय में एक विविध अपराधिक 482 पेश कर उनके खिलाफ रातानाडा थाने में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की। जिस पर तीन दिन पूर्व राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस कुलदीप माथुर (Rajasthan High Court Justice Kuldeep Mathur) की कोर्ट में सुनवाई हुई। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया था। आज कोर्ट में आसाराम के द्वारा पेश याचिका पर सुरक्षित फैसला सुनाते हुए आसाराम को जमानत देने का निर्णय लिया।
क्या होगा इस जमानत का असर?
आसाराम को इस मामले में जमानत मिलने के बाद हालांकि आसाराम जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे, क्योंकि वे इस मामले के अतिरिक्त यौन उत्पीड़न के आरोप में जिंदगी की आखिरी सांस तक जेल की सजा भुगत रहे हैं, लेकिन उक्त जमानत मिलने के बाद आसाराम के वकीलों द्वारा कोर्ट में यह तथ्य पेश किया जा सकता है कि आसाराम को एक अन्य मामले में जमानत मिल चुकी है ऐसे में झूठे दस्तावेज पेश करने का मामला आसाराम की आगामी जमानत में अड़चन पैदा नहीं करेगा।