त्रिदेवों में भगवान शिव शीघ्र ही प्रसन्न हो कर भक्तों पर कृपा करते है। भगवान शिव को ‘भोलेनाथ’ और ‘औघड़दानी’ कहा जाता है, जिसका अर्थ यह है कि वो किसी को बहुत अधिक परेशान नहीं देख सकते और भक्त की थोड़ी सी भी परेशानी उनकी करुणा को जगा देती है।
Bhagwan Shiv Bilva Patra Pooja : त्रिदेवों में भगवान शिव शीघ्र ही प्रसन्न हो कर भक्तों पर कृपा करते है। भगवान शिव को ‘भोलेनाथ’ और ‘औघड़दानी’ कहा जाता है, जिसका अर्थ यह है कि वो किसी को बहुत अधिक परेशान नहीं देख सकते और भक्त की थोड़ी सी भी परेशानी उनकी करुणा को जगा देती है। नीलकंठ रूपेण भगवान शिव अपने भक्तों की पीड़ा स्वयं पर ले लेते हैं। शास्त्रानुसार जो भक्त भगवान शिव की सच्चे हृदय से पूजा करता है, वह सदैव ही सभी परेशानियों से मुक्त रहता है।
भगवान भोलेनाथ की पूजा की कई विधियां हैं। लेकिन सामान्य रूप से बिल्वपत्र चढ़ाकर शिवलिंग पर केवल जल अर्पण करना भी भोलेनाथ की कृपा दिलाता है। अगर यह क्रिया कुछ मंत्रों के उच्चारण के साथ की जाय, तो भोलेशंकर व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। शिवपुराण, में बेलपत्र के वृक्ष की जड़ में शिव का वास माना गया है। इसलिए इसकी जड़ में गंगाजल के अर्पण का बहुत महत्व है। वायुमंडल में व्याप्त अशुध्दियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है ।
1.बेलपत्र के सेवन से शरीर में आहार के पोषक तत्व आधिकारिक रूप से अवशोषित होने लगते है।
2.बेल से मन एकाग्र रहता है और ध्यान केन्द्रित करने में सहायता मिलती है।
3.इसके सेवन से शारीरिक वृद्धि होती है।
4.इसके पत्तों का काढा पीने से ह्रदय मज़बूत होता है।
5बारिश के दिनों में अक्सर आँख आ जाती है यानी कंजक्टिवाईटीस हो जाता है। बेल पत्रों का रस आँखों में डालने से य लेप करने से लाभ होता है।