दिवालिया हो चुकी बजट एयरलाइन गो फर्स्ट (Go First) के दिन जल्दी बदल सकते हैं। इसके दिवालियापन प्रक्रिया के तहत दो वित्तीय बोलियां मिली हैं। यह जानकारी एयरलाइन के लेंडर्स की मीटिंग में हिस्सा लेने वाले दो बैंकरों ने दी।
नई दिल्ली। दिवालिया हो चुकी बजट एयरलाइन गो फर्स्ट (Go First) के दिन जल्दी बदल सकते हैं। इसके दिवालियापन प्रक्रिया के तहत दो वित्तीय बोलियां मिली हैं। यह जानकारी एयरलाइन के लेंडर्स की मीटिंग में हिस्सा लेने वाले दो बैंकरों ने दी।
बैंकरों ने बताया कि बजट एयरलाइन स्पाइसजेट के मैनेजिंग डायरेक्टर अजय सिंह और बिजी बी एयरवेज (Busy Bee Airways) ने मिलकर गो फर्स्ट के लिए 16 सौ करोड़ रुपये की बिड जमा की है। इसमें 1 हजार करोड़ गो फर्स्ट के लिए अधिग्रहण के लिए हैं, जबकि 600 करोड़ रुपये उसकी सेवाओं को दोबारा शुरू करने के लिए निवेश किए जाएंगे। हालांकि, इस बारे में बिजी बी एयरवेज के मेजोरिटी शेयरहोल्डर निशांत पिट्टी का कहना है कि एयरलाइन शुरू करने के लिए उनकी बिड गोपनीय है। सफल बिडर का ऐलान होने तक कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) उनकी बिड को गोपनीय ही रखेगी।
गो फर्स्ट के लिए एक फाइनेंशियल बिड शारजाह की स्काई वन एयरवेज (sky one airways) से भी मिली। यह पता नहीं चला कि स्काई वन ने गो फर्स्ट को रिवाइव करने के लिए कितनी बोली लगाई है। हालांकि, बैंकर ने बताया कि स्काई वन की बिड प्रतिस्पर्धी बोली से कम है। उन्होंने कहा कि बोलियों पर काम अगले महीने तक पूरा हो जाने की उम्मीद है।
गो फर्स्ट (Go First) की सेवाएं पिछले साल मई से ठप हैं। एयरलाइन ने उसी समय दिवालियापन के लिए आवेदन भी किया था। एयरलाइन ने दिवालियापन फाइलिंग में बताया कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई बैंक और ड्यूश बैंक उसके लेनदार हैं। उनका एयरलाइन का कुल 65.21 अरब रुपये बकाया है।
क्या है गो फर्स्ट का इतिहास?
गो फर्स्ट की शुरुआत गोएयर (GoAir) के रूप में हुई थी। इस एयरलाइन का मालिकाना हक वाडिया ग्रुप के पास है, जिसने साल 2005 में एविएशन सेक्टर में एंट्री की थी। अक्टूबर 2017 तक गो फर्स्ट काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही थी। यह 8.4 फीसदी मार्केट शेयर के साथ देश की पांचवीं सबसे बड़ी एयरलाइन थी। लेकिन फिर इसका बुरा दौर आया। जुलाई 2022 में उसे अपने विमान ग्राउंडेड करना पड़े और पिछले साल मई में पूरा ऑपरेशन बंद करना पड़ गया।